हमारे हिंदू धर्म में श्राद्ध का बहुत महत्व होता है। क्योंकि यह माना जाता है कि श्राद्ध अपने पितरों को ज्ञात करने का एक दिन है। इन दिनों लोग अपने मित्रों को भोजन कराते हैं। तथा इस समय का सबसे अच्छा मुहूर्त अमावस्या में माना जाता है क्योंकि यह माना जाता है कि श्राद्ध पक्ष का सबसे बड़ा मुहूर्त अमावस्या होता है। अश्विन मास की अमावस्या चित्रों को शांत करने का सबसे अच्छा मुहूर्त होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह माना जाता है कि जिन लोगों ने अपने पुत्रों को कई वर्षो से श्राद्ध नहीं कराया हो। तो उनकी पितर पितृ होनी से वापस प्रेत योनि में आ जाते हैं। और फिर उनकी शांति के लिए तीर्थ स्थान पर त्रिपिंडी श्राद्ध करवाया जाता है। इस कार्य में किसी भी प्रकार की देरी नहीं करनी चाहिए। क्योंकि यदि आप देरी करेंगे तो आपको पितर शाप लग सकता है। तथा यदि पितर शाप लग जाता है तो उस परिवार में कोई भी कार्य में सफलता प्राप्त नहीं होती है। और परिवार में शांति भी नहीं रहती है। इन सभी बचने के लिए अपने पूर्वजों का प्रत्येक वर्ष श्राद्ध करना चाहिए। उनका श्राद्ध करना यह दर्शाता है कि अभी भी आपके दिल में वह जिंदा है।
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