हिन्दू धर्म के शास्त्रों में पितरों के
श्राद्ध को लेकर कई बातें कहीं गई है,सनातन धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व माना गया है. क्योंकि पितृ पक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि हर साल पितृ पक्ष में किए जाने वाले श्राद्ध को पितर स्वर्गलोक से आकर ग्रहण करते हैं। श्राद्ध ग्रहण करके पितृ देव खुश होते हैं और उनकी आत्मा को मुक्ति मिलती है। जिसके परिणाम स्वरुप पितृ आशीर्वाद भी देते हैं। भविष्य पुराण में कुल 12 तरह के श्राद्ध बताए गए हैं। अगर आपके करीबी परिजन गुजर जातें हैं। तो निमित्त पिंडदान किया जाता है। इसे आसान शब्दों में श्राद्ध भी कहते हैं। आमतौर पर लोग एक दो तरह के श्राद्ध के बारे में जानते हैं। पितृ पक्ष में किया जाने वाला श्राद्ध, किसी भी मांगलिक कार्य के पहले किया जाने तीन ऋणों का मुख्यतः उल्लेख किया जाता है। देव ऋण, पितृ ऋण और ऋषि ऋण। लेकिन शस्त्रों में श्राद्ध 12 तरह का दिया गया हैं , के द्वारा पितृ ऋण से मुक्ति का निर्देश दिया गया है , जैसे प्रतिदिन किए जाने वाले श्राद्ध को नित्य श्राद्ध कहते हैं। नैमित्तिक- वार्षिक तिथि पर किए जाने वाले श्राद्ध को नैमित्तिक श्राद्ध कहते हैं।काम्य- किसी कामना के लिए किए जाने वाले श्राद्ध को काम्य श्राद्ध कहते हैं।
नान्दी- किसी मांगलिक अवसर पर किए जाने वाले श्राद्ध को नान्दी श्राद्ध कहते हैं।
इस पितृ पक्ष गया में कराएं श्राद्ध पूजा, मिलेगी पितृ दोषों से मुक्ति : 20 सितम्बर - 6 अक्टूबर 2021