हिंदू पंचक अनुसार कई प्रकार के योगों
के बारे में नियमित रुप से गणनाएं की जाती हैं. तिथि,वार, नक्षत्र,योग और करण द्वारा कई शुभ और अशुभ योगों निर्माण होता है. इन्हें में से एक योग है जिसे पंचक के नाम से जाना जाता है. पंचक का मतलब पांच की संख्या से होता है और यह अनुकूल योग नहीं माना जाता है. इसे
खराब योगों में स्थान दिया गया है. कुछ विशेष बातों में पंचक का बहुत ध्यान रखा जाता है. जब पंचक होते हैं तो कई शुभ एवं धार्मिक कर्म काण्ड रोक दिए जाते हैं या उनके लिए पंचक शांति की आवश्यकता पड़ती है. पंचक का निर्माण नक्षत्रों द्वारा होता है. चंद्रमा पूरे माह
नक्षत्रों में गोचरस्थ रहता है और जब वह कुछ विशेष नक्षत्रों में गोचरस्थ होता है तब पंचक का निर्माण होता है. पंचक का प्रभाव कई मामलों में प्रभाव डालता है क्योंकि ज्योतिष के अनुसार पंचक में किया गया कार्य अपने कार्य की पांच बार आवर्ती करा सकता है अर्थात जो कार्य
इस समय किया जाता है वह कार्य फिर से पांच बार करने की आवश्यकता पड़ सकती है. इस कारण से पंचक को अनुकूल कम ही माना गया है. वैसे भी हिंदू धर्म में प्रत्येक मांगलिक काम को करने से पूर्व शुभ और अशुभ योगों का ध्यान हमेशा रखा जाता है और काम करने से पूर्व शुभ समय की
ही प्राप्ति पर बल दिया जाता है. इसलिए शुभता की परंपरा का निर्वाह करते हुए ही पंचक को बहुत से मामलों में अच्छा नहीं माना गया है.
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