इस लेख में हम बामन द्वादशी से जुड़ी 10 महत्वपूर्ण बातों के बारे में बताएंगे-
1. बामन द्वादशी के दिन भगवान बामन की पूजा अर्चना की जाती है। आषाढ़ माह के अंतिम 5 दिनों में भगवान बामन की पूजा का विशेष महत्व है व इस से विशेष फल की प्राप्त होती है।
2. इस दिन भगवान बामन और बलि की कथा सुनने का विशेष महत्व है। आज के दिन से ही बलि के राज्य केरल में ओणम का महोत्सव शुरू हो जाता है।
3. इस दिन भगवान बामन के भक्त भगवान बामन को शहद चढ़ाते हैं। इन सभी के साथ ही चढ़ाए गए शहद का सेवन करने से व्यक्ति निरोगी बना रहता है।
4. यदि आपके घर में क्लेश होता रहता है तो बामन द्वादशी के दिन भगवान बामन को कांसे के बर्तन में घी का दीपक जलाकर उनके सामने रखें।
5. यदि आपको अपनी नौकरी या व्यापार में रुकावट होती नजर आ रही है तो इस दिन भगवान बामन को एक नारियल पर मौली लपेटकर चढ़ाएं।
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6. इस दिन श्री भागवत पुराण कथा का पाठ करने से शुभ फल की प्राप्त होती है।
7. इस दिन भगवान वामन देव को पंचोपचार या षोडशोपचार का पूजन करने के बाद अक्षत, दही, शहद इत्यादि वस्तुओं को अपनी इच्छा अनुसार दान करना चाहिए। इसे शुभ माना जाता है।
8. इस दिन भगवान श्री वामन देव की किसी मूर्ति या चित्र की पूजा अर्चना करें। यदि आप मूर्ति का पूजन करते हैं तो दक्षिणावर्ती शंख में गाय का दूध लेकर भगवान बामन देव का अभिषेक करें और यदि चित्र है तो सामान्य पूजन करें। पूजन अर्चन करने के बाद भगवान वामन देव की कथा सुने और अंत में आरती करें। आरती के बाद चावल दही और मिश्री को किसी गरीब या ब्राह्मण को दान करें व उसे भोजन कराएं।
9. अगर आप किसी ब्राह्मण से पूजा करा रहे हैं तो वह ब्राह्मण विधि विधान से पूजा करेगा। ऐसे में आपको 1 दिन का व्रत रखना पड़ेगा। जब आप व्रत रखकर पूजन करते हैं तो मूर्ति के पास 52 पेड़े और ₹52 की दक्षिणा रखकर ही पूजन करें। भगवान बामन का भोग लगाकर एक पात्र में चीनी, दही, अक्षत , शर्बत व दक्षिणा रखकर किसी ब्राह्मण को दान करने के बाद बामन द्वादशी का व्रत पूरा हो जाता है। व्रत के उद्यापन में ब्राह्मण को एक माला, दो गोमुखी मंडल , एक छाता , एक आसन, गीता ,लाठी ,फल, खड़ाऊ व श्रद्धा अनुसार दक्षिणा देनी चाहिए।
10. इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु के सहस्त्रनाम का जाप करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं।
वामन देव की कथा-
वामन अवतार को भगवान विष्णु का एक बहुत ही महत्वपूर्ण अवतार माना जाता है। श्रीमद्भगवत पुराण में भी वामन अवतार का उल्लेख देखने को मिलता है। वामन अवतार की कथा के अनुसार , देवताओं और दैत्यों में घमासान युद्ध हो रहा था जिसमें देवता पराजित होने लगे थे उसी समय असुर सेना अमरावती पर आक्रमण करने लगी। तब भगवान इंद्र ने भगवान श्री हरि विष्णु की शरण में जाकर भगवान विष्णु से सहायता की गुहार लगाई इसके बाद भगवान विष्णु ने उनकी सहायता करने का आश्वासन दिया और भगवान विष्णु माता आदित्य के गर्व से बामन रूप में उत्पन्न होने का वचन दिया। दैत्य राज बली के द्वारा देवताओं के पराजय के बाद ऋषि कश्यप जी के कहने से माता अदिति प्रयोग व्रत का एक महा अनुष्ठान करती हैं जो कि वह पुत्र प्राप्ति के लिए किया जाता है। तब भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी के दिन माता अदिति के गर्व से प्रकट होकर भगवान वामन देव अवतार लेते हैं तथा ब्राह्मण ब्रह्मचारी का रूप धारण करते हैं।
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