मंगलागौरी व्रत: सावन के आरंभ होने के साथ ही मंगलगागौरी व्रत का आरंभ भी होता है, सावन मास के सोमवार (Monday) की जो विशेषता है वहीं विशेषता सावन के मंगलवार के दिन की भी होती है क्योंकि शार्वण मास का मंगलवार मंगलगागौरी व्रत (Mangalagauri vrat) के लिए मुख्य रुप से महत्वपूर्ण होता है. श्रावण मास के प्रत्येक मंगलवार के दिन देवी गौरी की पूजा अराधना करने का विशेष विधान रहा है. 17 अगस्त को सावन के अंतिम मंगलवार होने के कारण मंगलगागौरी व्रत का समापन हो जाएगा, ऎसे में सावन मास का अंतिम मंगलवार अत्यंत ही महत्वपूर्ण रहता है. इस मास में आने वाले कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष दोनों ही मंगलवार का विशेष प्रभाव होता है. सुहागन एवं कन्याएं दोनों ही इस दिन देवी गौरी की पूजा उपासना करती हैं ये व्रत सौभाग्य एवं सुख में वृद्धि करने वाला होता है. को रखा जाता है. श्रावण मास में आने वाले सभी व्रत-उपवास व्यक्ति के सुख- सौभाग्य में वृ्द्धि करते है. यह व्रत मांगल्य सुख को देने वाला होता है ओर जीवन के कष्टों को समाप्त करता है आईये जानते हैं कैसा रहेगा इस अंतिम मंगलागौरी व्रत का सभी राशि के जातकों पर प्रभाव .
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