यूं तो करवा चौथ की कई कथाएं प्रचलित हैं लेकिन ऐसी मान्यता है कि ये परंपरा देवताओं के समय से चली आ रही है। ... नतीजा ये रहा कि युद्ध में सभी देव विजयी हुए आैर इसके बाद ही सभी देव पत्नियों ने अपना व्रत खोला। उस दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी थी आैर आकाश में चंद्रमा निकल आया था
पूजा के लिए 16 श्रृंगार करते हैं। फिर पूजा के मुहूर्त में चौथ माता या मां गौरी और गणेश जी की विधि विधान से पूजा करते हैं। पूजा के समय उनको गंगाजल, नैवेद्य, धूप-दीप, अक्षत्, रोली, फूल, पंचामृत आदि अर्पित करते हैं। दोनों को श्रद्धापूर्वक फल एवं हलवा-पूड़ी का भोग लगाते हैं।
करवा चौथ पति और पत्नी के बीच के प्रेम को दर्शाने वाला बेहद निष्ठापूर्ण व श्रद्धा भाव से उपवास रखने का त्योहार है। प्राचीनकाल से महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए यह व्रत करती चली आ रही हैं। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए व्रत करती है और ईश्वर से आशीर्वाद प्राप्त करती है।
हिंदू धर्म में करवा चौथ का बहुत महत्व है। क्योंकि इस दिन सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए उपवास रखती हैं। हिंदू पांचांग के अनुसार हर साल कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवाचौथ मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जल व्रत रखती हैं, फिर रात के समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं। बता दें कि इस साल करवा चौथ का यह त्योहार 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। हालांकि इस वर्ष करवा चौथ के दिन बेहद ही शुभ संयोग बन रहे हैं।
करवा चौथ पर बन रहा ये खास योग: 24 अक्टूबर को करवा चौथ के दिन एक विशेष योग बन रहा है, जो लोगों के लिए बेहद ही फलदायी होने वाला है। दरअसल इस बार करवा चौथ का चांद रोहिणी नक्षत्र में निकलेगा। यह संयोग पूरे पांच साल बन रहा है। बता दें कि इस वर्ष रात में 8 बजकर 7 मिनट पर चंद्रमा के दर्शन हो सकते हैं।
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