क्या है इससे जुड़ी धार्मिक मान्यता
कहा जाता है लंबे समय पूर्व सात भाइयों की एक बहन करवा थी, क्योंकि सात भाइयों में एक बहन थी तो सभी के दिल का टुकड़ा थी। कोई उसे थोड़ा सा भी परेशान नही देख सकता था। प्रेम यूं था कि बहन को खिलाये बिना भाई खाना नही खाते थे। एक शाम सभी भाई व्यापार कर के घर लौटे तभी देखा बहन बहुत बेचैन और परेशान थी जब उससे पूछा गया तो उसने बताया कि उसका निर्जल व्रत है, चांद देखकर ही वो जल अन्न ग्रहण करेगी। इससे भाई चिंतित हो गए। ऐसा देख एक भाई ने दूर पीपल पेड़ के नीचे दीया जलाकर चलनी के नीचे रख दिया इससे ऐसा लगा जैसे चतुर्थी का चांद निकला हो। ऐसा कहने पर बहन ने जब वो देखा तो उसने जल अन्न ग्रहण किया। पहले निवाले में उसे छींक आई दूसरे निवाले में बाल निकला तो वहीं तीसरे में उसके पति की मौत का समाचार मिला। जब उसे सच पता चला तो वो क्रोधित हो गई और उसने ठान लिया कि वो अपने पति को पुनर्जीवित करेगी। अगले करवाचौथ तक वो अपने पति के शव के पास बैठी रहती है। अगले करवाचौथ पर वो सभी भाभी माताओं से आग्रह करती है पर सभी टाल देते हैं किंतु उसे पता चलता है कि सबसे छोटी भाभी के पति द्वारा ऐसा हुआ था तो उनकी पत्नी ही करवा के पति को जीवित कर सकती है यदि वो उनसे जिद पर अड़ जाए। इतना जानते ही करवा जिद पर अड़ गई तभी उसकी प्रार्थना एवं तपस्या देख वो अपनी छोटी उंगली चीरकर उससे अमृत निकाल के पति के मुंह में डालकर उसे पुनर्जीवित कर देती हैं। इस तरह से करवा अपने प्रेम और तपस्या से अपने पति को जीवनदान दिलवाती है।
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