ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुरु को एक ज्ञानी ग्रह के रूप में जाना जाता है एंव इसे नव ग्रहों में सबसे अधिक शुभ ग्रह माने जाते हैं। गुरू विशेष रूप से आध्यात्मिकता को विकसित करने का कारक हैं,साथ ही तीर्थ स्थानों, मंदिरों, पवित्र नदियों, धार्मिक क्रिया कलाप से जुडे हैं। गुरु ग्रह को अध्यापकों, ज्योतिषियों, दार्शनिकों, लेखकों जैसे कई क्षेत्रों में कार्य करने का कारक माना जाता है। गुरु की अन्य कारक वस्तुओं में भी जैसे: पुत्र संतान, जीवन साथी, धन-सम्पति, शैक्षिक गुरु, बुद्धिमता, शिक्षा, ज्योतिष तर्क, शिल्पज्ञान, अच्छे गुण, श्रद्धा, त्याग, समृ्द्धि, धर्म, विश्वास, धार्मिक कार्यो, राजसिक सम्मान देखा जा सकता है। गुरू जीवन के अधिकतर क्षेत्रों में सकारात्मक उर्जा प्रदान करने में सहायता प्रदान करती हैं। कहा जाता है कि सकारात्मक रुख के कारण व्यक्ति कठिन से कठिन समय को आसानी से सुलझाने के प्रयास में लगा रहता है। गुरू आशावादी बनाते हैं एंव निराशा को जीवन में तो प्रवेश ही नहीं करने देते। गुरू के अच्छे प्रभाव स्वरुप से ही जातक परिवार को साथ में लेकर चलने की चाह रखने वाला होता है। गुरु के प्रभाव से जातक को बैंक, आयकर, खंजाची, राजस्व, मंदिर, धर्मार्थ संस्थाएं, कानूनी क्षेत्र, जज, न्यायाल्य, वकील, सम्पादक, प्राचार्य, शिक्षाविद, शेयर बाजार, पूंजीपति, दार्शनिक, ज्योतिषी, वेदों एंव शास्त्रों का ज्ञाता होता है। गुरु के मित्र ग्रह सूर्य, चन्द्र, मंगल है तो वही गुरु के शत्रु ग्रह बुध, शुक्र हैं। गुरु धनु एंव मीन राशि का स्वामी है। इन्हें कर्क राशि में उच्च माना जाता है, तो वही मकर में नीच का माने जाते है। ये ग्रह भाग्य एंव मान-प्रतिष्ठा प्राप्ति का कारक ग्रह है। इस वर्ष गुरु ग्रह 14 सितंबर को मकर राशि में प्रवेश करने जा रहा है तथा 21 नवंबर तक इसी राशि में रहेगा। गुरु का गोचर शनि की युति के साथ होगा जिसका प्रभाव लंबे समय तक रहेगा। जानिए किन राशियों के लिए ये गोचर सुखदायी साबित होगा। आइए देखते हैं वह तीन राशि कौन-कौन से हैं:-
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