जैन धर्म का प्रचार प्रसार बहुत तेजी से हो रहा है | आप केवल बौद्ध या जैन लोग ही नहीं बल्कि अन्य लोग भी जैन धर्म को मानने लगे है | सभी धर्म के कुछ ऐसे त्यौहार होते हैं जिनका उनके जीवन में बहुत महत्त्व होता है | जैन धर्म में भी " पर्युषण" नाम से त्यौहार प्रसिद्ध है | इस त्यौहार को ये लोग त्योहार का राजा बोलते हैं | जैन धर्मावलंबियों के लिए यह त्यौहार बहुत महत्पूर्ण है | जैन धर्म के स्वामी महावीर जी का उद्देश्य था की समाज में ही बढ़ रही हिंसा खत्म हो जाए | वह संसार से चाहते थे कि वह इस रणनीति को अपनाया कि "जियो और जीने दो" यह रणनीति को अपनाया और मोक्ष को प्राप्त करे | जैन लोगों का यह त्यौहार कुछ दिनों तक चलता है | इस बार 4 सितंबर से शुरू होकर 11 सितंबर तक चलेगा | और दिगंबर जैन धर्म के लोग इस त्यौहार को दश लक्षण नाम से बोलते है | इस त्यौहार में 10 दिन का व्रत रखा जाता है और दस अलग-अलग दिनों में सभी को अपना कार्य, कर्म आदि को ध्यान में रखते हुए ही आपस में व्यवहार करना होता है | आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि जैन धर्म के इस त्यौहार में अलग-अलग 10 दिनों में क्या होता है | और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए |
यदि आप भी जैन धर्म को मानते हैं क्या आप भी जैन धर्म से है तो और यह व्रत आप ही रखते हैं तो यह लेख आपके लिए लाभकारी सिद्ध होगा |
व्रत के 10 दिन -
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