भक्तों द्वारा कैसे मनाई जाती है कृष्ण जन्माष्टमी?
हर साल कृष्ण जन्माष्टमी पर, भक्त उपवास करके और भगवान कृष्ण से प्रार्थना करके इस शुभ त्योहार का पालन करते हैं। उपवास उनके प्रिय देवता श्री कृष्ण के लिए मनाया जाता है और उन्हें उनकी पूजा करने के बाद ही तोड़ा जा सकता है। इसी बीच व्रत तोड़ने की रस्म को पारण कहते हैं।
इस खास दिन पर लोग अपने घरों को रंग-बिरंगे फूलों, छोटे-छोटे दीयों और लाइटों व छोटे छोटे खिलौनों से सजाते हैं। इस अवसर पर मंदिरों को भी खूबसूरती से सजाया और सजाया जाता है।
भारत में कई प्रमुख मंदिरों में, मथुरा और वृंदावन में सबसे असाधारण और रंगीन उत्सव होते हैं जो दिनों तक जारी रहते हैं। शास्त्रों के अनुसार, भगवान कृष्ण का जन्म मध्यरात्रि में हुआ था, इसलिए इन मंदिरों में शिशु की मूर्ति को धोया जाता है और उस समय पालने में रखा जाता है।
इसके अलावा, इन पवित्र दिनों के दौरान, भक्त भगवान श्री कृष्ण के जीवन की घटनाओं को फिर से बनाने और राधा के प्रति उनके प्रेम का जश्न मनाने के लिए रासलीला करते हैं।
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