हिंदू धर्म शास्त्रों (hindu theology) के अनुसार अमावस्या का विशेष महत्व होता है। प्रत्येक माह में एक अमावस्या आती है। यानी वर्ष भर में इसकी 12 तिथियां होती हैं। इन सभी में सावन की अमावस्या तिथि को विशेष स्थान प्राप्त है। चूंकि यह सावन के महीने की अमावस्या है। इसलिए यह हरियाली अमावस्या के नाम से भी प्रसिद्ध (famous) है। इसे महाराष्ट्र(Maharashtra) में गटरी अमावाया(gatari amavasya) के नाम से जाना जाता है। तो वहीं आंध्र प्रदेश(Andhra Pradesh) व तेलंगाना (Telangana) में चुक्कला (chukkala amavasya) एवं ओडिशा में चितलागी (chitlagi Amavasya) अमावस्या के नाम से पुकारा जाता है। इस वर्ष हरियाली अमावस्या दिन रविवार, 08 अगस्त को पड़ रही है। विशेषतः अमावस्या की तिथि का संबंध पितरों (ancestors) से होता है। शास्त्रों के अनुसार, पितृदेव (potridev) अमावस्या तिथि के स्वामी माने जाते हैं। इस दिन अपने पीतरण और पूर्वजों के आत्म की शांति के लिए व्रत व तर्पण (tarpan) करने का प्रावधान है। लेकिन यदि आपके पितरण आपसे असंतुष्ट हैं या आप पर पितृ दोष है, तो आपका जीवन कष्टदायी बीतेगा। क्योंकि पितृ दोष एक ऐसी दुर्योग (misadventures) है, जो अगर जातक की जन्म कुंडली में होता है, तो व्यक्ति की पूरी जिंदगी हीं संघर्षमय (struggle) बना देता है। अतः पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए पितृ शांति का उपाय करना अति आवश्यक होता है। आइए जानते हैं इस दोष से बचने के निंमलिखित उपायों के बारे में जिससे आपके मन की एकाग्रता (concentration) और शांति (peace) वापस आयेगी।
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1. शास्त्रों के अनुसार पितरों की शांति के लिए अनुष्ठान, पिंड दान, तर्पण आदि हीं पितृदोष का समाधान है। इस दौरान दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितृ तर्पण की विधि करें। इसके साथ-साथ पितृ स्तोत्र का पाठ भी करें। इस व्रत को करने से पितृदोष शांत होता है। और इस दिन पूजन के बाद ब्राह्मण भोज अवश्य कराएं।
2. हरियाली अमावस्या के दिन वृक्षारोपण का विशेष महत्व है। इस दिन पीपल, आम, नीम, वट वृक्ष और आंवला के पौधों को रोपने का प्रावधान है। वृक्ष रोपण से ग्रह और नक्षत्र के साथ-साथ पितृ दोष भी शांत होता है।
3. हालांकि सावन के महीने में भोलेनाथ की पूजन की महत्ता है। इसलिए इस दिन विशेष तौर पर खास तरीके से भगवान शिव की पूजा की जाती है। हरियाली अमावस्या के दिन भोलेनाथ महादेव को बिल्वपत्र, सफेद पुष्प, धतूरा और भांग का चढ़ावा मिलता है।
4. हरियाली अमावस्या व्रत के कई महत्व हैं। इस दिन विधिवत रूप से व्रत रख कर पूजन की जाए तो हर तरह के रोग शोक दूर होते हैं ।
5. बजे अमावस्या की काली रात में भूत-प्रेत, निशाचर, पिशाच, दैत्य, जीव-जंतु और पितृ सक्रिय हो जाते हैं। इसलिए इस दिन कहीं भी जाने या कुछ करने से पहले विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
6. हरियाली अमावस्या के दिन तामसिक भोजन को ग्रहण ना करें। यानी मदिरा, शराब , नशे की चीजों आदि से दूर रहें। और भोजन में लहसुन और प्याज का प्रयोग भी ना करें।
7. हरियाली अमावस्या के दिन तालाब नदी और सरोवर में स्नान करें। इससे सावन हरियाली अमावस्या व्रत का उचित फल प्रदान होगा।
8. इस दिन देवों के देव महादेव के साथ-साथ हनुमान जी की भी आराधना करें। हनुमान मंदिर जाएं और वहां हनुमान चालीसा का पाठ करें। इसके अलावा हनुमान जी को सिंदूर और चमेली का तेल अर्पण करें।
9. हरियाली अमावस्या के दिन व्यक्ति के मन मस्तिष्क में नकारात्मकता का संचार बढ़ जाता है। इस दौरान नकारात्मक शक्तियों के लिए उनका अपने वश में करना आसान हो जाता है।इस स्थिति में हनुमान जी का पाठ करना आवश्यक होता है।
10. जो व्यक्ति बेहद भावुक स्वभाव के होते हैं, उन पर बुरी शक्तियों का असर सबसे ज्यादा पड़ता है। अतः वैसे व्यक्ति अपने मन को कंट्रोल में रखें और सलामती के लिए पूजा पाठ पर विशेष ध्यान दें।
11. हरियाली अमावस्या के दिन आटे की दीप बनाएं। इसमें रूई की बाती लगाकर प्रज्वलित कर नदी में प्रवाहित कर दें। ऐसा करने से पितृ देव और माता लक्ष्मी दोनों ही प्रसन्न होते हैं।
12. चूंकि पितृ दोष के कारण मन अशांत रहता है। इसलिए इस दिन शनि देव की मंदिर जाकर उनके समक्ष दीप प्रज्वलित कर उन्हें प्रसन्न रखें। इससे आपको पॉजिटिव एनर्जी मिलेगी और आपका मन शांत रहेगा।
13. इस दिन गरुड़ पुराण, रुचि कृत पितृ स्तोत्र,पितृ देव चालीसा, गीता पाठ, गजेंद्र मोक्ष पाठ, पितृ गायत्री पाठ, और पितृ कवच का पवित्र पाठ करें इसके बाद आरती कर लें।