2. इस मंदिर का निर्माण 19 नवंबर सन 1801 में गुरुवार के दिन पूर्ण हुआ था। माटूंगा के आगरी समाज की स्वर्गीय श्रीमती दिउबाई पाटिल के निर्देशों और आर्थिक सहयोग से एक व्यावसायिक ठेकेदार स्वर्गीय लक्ष्मण विथु पाटिल ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। किंवदन्दि है कि इस मंदिर का निर्माण संवत् 1692 में हुआ था। मगर सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक इस मंदिर का 19 नवंबर 1801 में पहली बार निर्माण हुआ था। सिद्धि विनायक का यह पहला मंदिर बहुत छोटा था। पिछले दो दशकों में इस मंदिर का कई बार पुनर्निर्माण हो चुका है। हाल ही में एक दशक पहले १९९१ में महाराष्ट्र सरकार ने इस मंदिर के भव्य निर्माण के लिए २० हजार वर्गफीट की जमीन प्रदान की।
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