गणेश जी प्रथम पूज्य देव हैं जिनका स्थान देव समाज में सर्वोपरि है। भगवान शिव ने उन्हें आशीर्वाद दिया था कि जब भी पूजा होगी सबसे पहले आपके नाम का स्मरण किया जाएगा। भगवान गणेश जी के हज़ारों नाम हैं। सभी को याद रखना तो असंभव है। जब भी गणपति जी का पाठ होता है तो 108 नामो की नामावली के माध्यम से उन्हें प्रसन्न किया जाता है और वे सफलता, धन, बुद्धि , विवेक, सौभाग्य, पराक्रम, यश, कीर्ति का आशीर्वाद देते हैं। लोग तो आपको भी प्यार से बाबू, बबुआ, बउवा बुलाते होंगे पर आपका भी कोई असली नाम तो होगा ही उसी तरह क्या आप जानते हैं कि गणेश जी के जन्म के समय माता पार्वती ने उनका क्या नाम रखा था ?
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विनायक था माता पार्वती के लाडले का नाम
माना जाता है कि भगवान गणेश जी का नाम जन्म के बाद माता पार्वती ने विनायक रखा था। विनायक का अर्थ होता है विशेष नायक अर्थात नायकों का नायक। जब भगवान शिव के द्वारा हांथी का मस्तक लगाया गया तब उनका नाम गजानन रखा गया। जब उन्हें गणों का प्रमुख बनाया गया तब उनका नाम गणपति पड़ा। गणेश जी बुद्धि के देवता हैं। विद्या, बुद्धि, विनय, विवेक में भगवान गणेश अग्रिम हैं। गणेश जी के 12 मुख्य नाम हैं जिनका प्रतिदिन जाप करने से विघ्नहर्ता आपके विघ्नों को हर लेते हैं। जिसमें वक्रतुंड, एकदंत, कृष्णपिंगाक्ष, गजवक्त्र, लंबोदर, विकट, विघ्नराजेंद्र, धूमवर्ण, भालचंद्र, विनायक, गणपति, गजानन हैं।
रोचक कहानी है नाम एकदंत से जुड़ी
एक बार शिव जी के भक्त परशुराम जी उनसे मिलने पहुंचे। उस समय शिव जी ध्यान में मग्न थे। गणेश जी ने उन्हें मिलने से रोका किंतु वो क्रोधित हो गए। उन्होंने गणेश जी को युद्व के लिए ललकारा आउट युद्ध शुरू हो गया। परशुराम जी के प्रहारों को गणेश जी विफल करते गए जिससे परेशान होकर परशुराम जी ने शिव जी से प्राप्त परशु से प्रहार किया। गणेश जी ने उसका आदर रखा जिसके प्रहार से उनका दांत टूट गया और वो दर्द से कराहने लगे तभी माता पार्वती आईं। ये देख वो भयंकर क्रोधित हो गईं, मां दुर्गा के रूप में आ गईं। परशुराम जी को अपनी गलती का एहसास हुआ उन्होंने गणेश जी को अपना बल, ज्ञान, कौशल आशीर्वाद के रूप में प्रदान किया। गणेश जी ने इसी टूटे दांत से महाभारत कथा का लेखन किया।
गणपति जी के हज़ारों नाम हैं वही विनायक उनका पहला नाम है। गणेश नामावली 108 नाम की है। प्रतिदिन 12 मुख्य नामों के जाप से गणेश जी भक्तों के विघ्न हर लेते हैं।
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