3. 36 घंटे का व्रत : छठ का पर्व की नहाय खाये से शुरू होता है जिसमें साफ-सफाई और शुद्ध शाकाहारी भोजन सेवन का पालन किया जाता है। इसके बाद घर में सूर्यदेव और छठी मैया को स्थापित करके उनकी पूजा की जाती है। इसके दूसरे दिन खरना होता है। खरना में महिलाएं साफ वस्त्र धारण करती हैं और नाक से लेकर माथे के मांग तक सिंदूर लगाती हैं। पूरे दिन व्रत रखने के बाद शाम के समय लकड़ी के चूल्हे पर साठी के चावल और गुड़ की खीर बनाकर प्रसाद तैयार करती हैं। पूजा करने के बाद महिलाएं उसी का सेवन करती हैं और घर के अन्य सदस्यों को यह प्रसाद के रूप में दिया जाता है। इस भोजन को ग्रहण करने के बाद ही व्रती महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है। लोगों की मान्यता है कि खरना पूजा होने के बाद ही घर में छठी माई का आगमन हो जाता है। तीसरा दिन और चौथा दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है जिसेमें सांध्य और उषा अर्घ्य दिया जाता है।
नजर दोष व शत्रु दमन के लिए काली चौदस पर कालीबाड़ी मंदिर (दिल्ली) में माँ काली की पूजा