आचार्य चाणक्य (Chanakya) एक बुद्धिमान (intelligent) और कौशल व्यक्ति ( person l थे। उन्हें अर्थशास्त्र (Economics) , राजनीति (Politics) और कूटनीतियों (Diplomats) में काफी समझ थी। बचपन (childhood) से ही उन्होंने अपनी रुचि ( interest ) के कारण ग्रंथों और वेदों का ज्ञान (Knowledge) लिया था। चाणक्य ने अनगिनत ग्रंथ और किताबें (Books) लिखी। 26 वर्ष में उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की और तक्षशिला में अच्छे शिक्षक (teacher ) के रूप में जाने जाने लगे। उसके बाद उन्होंने नंद वंश के न्यायालय में पदवी हासिल की । तभी से वे पाटलिपुत्र के रूप में प्रसिद्ध हो गए। वे एक दूरदर्शी सोच वाले व्यक्ति थे। जिस वजह से उनके निर्णय बहुत ठोस रहते थे। उन्होंने अर्थशास्त्र ( Arthasastra) नामक अपनी पुस्तक में राजनैतिक सिद्धांतों का उल्लेख किया है। और नीति शास्त्र ( Nitishastra ) में व्यक्ति की सफलता (Success) के राज लिखे हैं, जिसका इस्तेमाल (Use) लोग आज भी करते हैं। उनकी नीतियां ( tricks ) व्यक्ति को सफल ( successful) बनाने के लिए हमेशा से प्रेरित करती आए हैं। नीति शास्त्र जीवन संबंधित कई पहलुओं के बारे में भी सीख देता है। उनका मानना है ,सफल व्यक्ति को चाहिए कि वे इन बातों को खासकर ध्यान रखें वरना वे असफल (unsuccessful) व्यक्ति की श्रेणी में जाने जाने लगते हैं ।
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