सबसे बड़ा है ये मंत्र गायत्री माता को अथर्वेद, यजुर्वेद और सामवेद, ऋग्वेद की जननी माना जाता है। वेदों की देवी के लिए जिस मंत्र का जाप किया जाता है, वो मंत्र समस्त ब्रह्मांड में सबसे ज्यादा श्रेष्ठ मंत्र है। हर व्यक्ति को गायत्री मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए। चाणक्य स्वयं भी एक शिक्षक और विश्व की सबसे पुरानी संस्थाओं तक्षशिला में पढ़ाते हैं अपने तेज के कारण वह खुद भी सफल हुए और चंद्रगुप्त को सम्राट बनाने तक का सफर तय किया।
जानिए हनुमान जी के इन मंत्रों का जाप करने से कैसे होगा आपके सभी दुखों का नाश
चाणक्य अपनी सफलता का मंत्र बताते हुए कहा है कि
१. हमें दूसरों की गलतियों से सीखना चाहिए अगर हम अपनी गलती से ही सीखते रहे तो हमारी आयु कम पड़ जाएगी।
२. सफल होने के आचार्य चाणक्य ने बताया है कि कुछ लोग सफल होने के लिए कोशिश नहीं करते जिस तरह उनका जीवन चलता आ रहा है वह बस उसके साथ ही चलते रहते हैं ऐसे लोग कभी भी अपने जीवन में सफल नहीं हो पाते बल्कि इसकी जगह जो उन्नति करना चाहते हैं और आगे बढ़ना चाहते हैं वह अपना सब कुछ दाव पर लगाने से नहीं डरते हैं संभावना है कि वह हार जाए कुछ ना कर पाए लेकिन यह तो जरूर कुछ कर दिखाने का प्रयास जरूर करते हैं यही उन्होंने सफलता का दूसरा मंत्र बताया है।
सबसे श्रेष्ठ तिथि : आचार्य चाणक्य ने भी एकादशी के व्रत को काफी श्रेष्ठ बताया है क्योंकि इस व्रत से व्यक्ति निरोगी होता है, सौभाग्य प्राप्त होता है, मोक्ष मिलता है तथा आचार्य चाणक्य सबसे श्रेष्ठ द्वादशी तिथि को मानते थे क्योंकि एकादशी का निर्जल व्रत रहकर द्वादशी के दिन भक्त अपने व्रत का पारण करते हैं।
सबसे श्रेष्ठ मां है : आचार्य के मुताबिक संसार के सभी व्यक्तियों का अपना अलग महत्व है। लेकिन उन्होंने संपूर्ण सृष्टि में सबसे श्रेष्ठ मां को माना है। मां ही एक बच्चे को इस संसार में जन्म देती है और वह केवल अपने बच्चे लिए जीवन में नि:स्वार्थ भाव से बिना किसी लाभ का लोभ किए बिना सेवा करती रहती है। इसलिए हर एक व्यक्ति को उसकी मां की सेवा उनके अंतिम वक्त तक करनी चाहिए क्योंकि मां को धरती पर भगवान का रुप माना जाता है क्योंकि ईश्वर इस धरती पर हर जगह नहीं पहुंच पाते इसलिए भगवान ने मां को स्वयं का दरजा दिया है तथा मां की सेवा को सबसे बड़ा पुण्य और समान का काम माना है।
अन्नदान है महादान : आचार्य चाणक्य अन्नदान को महादान मानते थे। आचार्य का मानना था कि यदि आप किसी भूखे व्यक्ति को भोजन करा देते हैं, तो इससे बड़ा कोई और दान नहीं हो सकता। अन्न व्यक्ति को जीने की शक्ति देता है और शक्ति आने पर व्यक्ति सामर्थ्यवान बनता है। इसलिए जरूरतमंदों को अन्न दान जरूर करें।
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