श्रावण मास का कोई भी दिन हो या तिथि हो सबकी एक अलग विशेषता होती है:
सोमवार को प्रतिदिन सुबह उठकर के शौच और स्नानादि कर के त्रिदल वाले सुन्दर, साफ, बिना कटे-फटे कोमल बेलपत्र 5, 7 या 9 आदि की संख्या में लें और अगर आपने उसे नही धोया है तो उसे धो ले। अक्षत यानी बिना टूटे फूटे वाले चावल को लेले और वो चावल भी एकदम साफ सुथरा होना चाहिए। फिर आप किसी भी साफ लोटे या फिर जल डालने लायक कोई शुद्ध बर्तन लेले जिस से आप जल अर्पित कर सकें। फिर उसमें जल भर ले या फिर अगर संभव हो तो गंगा जल लेले उसके बाद आप अपने सामर्थ्य के अनुसार , चंदन,गंध,अगरबत्ती,धूप या जो पूजा में लगता है सब लेले।
वैसे अगर आप अगरबत्ती नही भी लेंगे तो ठीक है क्योंकि अगरबत्ती में देखा जाता है की बांस की लकड़ी लगी रहती है। जितने भी समान बताए गए है ये सारी चीजों को इकट्ठा करके कुछ में रख कर शिव मंदिर लेकर के जाए। या फिर नजदीक में कोई शिव मंदिर न हो तो पास में पीपल का वृक्ष दिख जाए तो वहां चले जाए। आपने जो भी सामग्री इकट्ठा किया है उसको किसी साफ जगह पर रखें। और अगर वहां साफ जगह न मिले तो आप खुद ही भूमि को लिप कर शुद्ध और स्वच्छ करके वहां रख दें।
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