प्रयागराज में लेटे हुए हनुमान जी की मूर्ति के रहस्य की कहानी जानकार आप रहे जाएगें हैरान
हनुमान जी को कलयुग का राजा कहा जाता है। जो भक्त सच्चे मन से हनुमान जी की पूजा करता है उसकी राह में आ रही बाधा दूर हो जाता है। हिंदू धर्म में हनुमान जी को शिव का अवतार माना जाता हैं।हमारे देश में जगह-जगह पर हनुमानजी के प्राचीन चमत्कारिक मंदिर हैं। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हनुमान जी का एक ऐसा मंदिर जहां पर हनुमान जी प्रतिमा लेटी हुई है। मान्यता है की इस मंदिर हनुमान जी के दर्शन के बिना संगम स्नान अधूरा है। पूरे देश में हनुमान जी का ऐसा मंदिर नहीं है। इस मंदिर में मंगलवार और शनिवार को भक्तों की भीड़ जमा होती है। आखिर इस मंदिर की क्या विशेषता है? इसके पीछे क्या रहस्य और क्या है कहानी है, जानते हैं :–
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व्यापारी को दिया हनुमान जी ने सपना
एक कहानी के अनुसार सैकड़ों वर्ष पूर्व एक धनी व्यापारी हनुमान जी की प्रतिमा को लेकर जा रहा था। जब उस व्यापारी की नाव संगम तट के किनारे पहुंची तो अचानक हनुमान जी की प्रतिमा उसके हाथ से छुट गई ।व्यापारी ने बहुत कोशिश की , कि हनुमान जी की प्रतिमा उठा सके लेकिन नहीं उठा पाया। तब उसे हनुमान जी सपने ने सपने में आकर कहा की वे संगम तट के किनारे रहना चाहते है। उस व्यापारी को जैसे–जैसे हनुमान जी ने निर्देश दिया वैसे ही उसने कर दिया।
लेटे हुए हनुमान जी की मूर्ति की विशेषता
प्रयागराज के संगम में स्थिति हनुमान जी को कई नामों से भी जाना जाता है। जैसे इन्हें बड़े हनुमान जी, किले वाले हनुमान जी, लेटे हनुमान जी और बांध वाले हनुमान जी कहा जाता है। यहां जमीन से नीचे हनुमान जी की मूर्ति लेटे हुए मुद्रा में है। तथा हनुमान जी अपनी एक भुजा से अहिरावण और दूसरी भुजा से दूसरे राक्षस को पकड़े हुए हैं।कहते हैं कि ये एक एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां हनुमान जी की मूर्ति लेटी हुई हैं।
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20 फीट लंबी हैं हनुमान जी की मुर्ति
हनुमान जी का ये मंदिर सिद्ध मंदिर है। कहते हैं कि हनुमान जी अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते हैं।यहां आने वालों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। हर संकटों से मुक्ति मिलती है।हनुमान जी की इस मूर्ति की लंबाई लगभग 20 फीट की है। मंगलवार और शनिवार के दिन इस मंदिर में हनुमान भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। मान्यता है कि गंगा का पानी हनुमान जी का स्पर्श करने के लिए ऊपर होता है और स्पर्श के बाद फिर अपनी जगह पर आ जाती है। ऐसा हर रोज मां गंगा हनुमान जी आशीर्वाद पाने के लिए करती है।
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अकबर ने भी मान ली थी हार
इतिहासों और पौराणिक कथाओं के अनुसार सन् 1582 में अकबर अपने साम्रज्य को विस्तार देने में जब व्यस्त था तो वो प्रयागराज में भी आया था। मंगध, अवध, बंगाल सहित पूर्वी भारत में चलने वाले विद्रोह को शांत करने के लिए अकबर ने यहां एक किले का निर्माण कराया। जहां पर अकबर ने हनुमान जी की लेटी हुई मूर्ति को ले जाने की कोशिश की थी। लेकिन हनुमान जी की मूर्ति अपने स्थान से हिली भी नहीं। कहते हैं की इस घटना के बाद हनुमान जी ने अकबर के सपने में आए। इसके बाद अकबर ने इस काम को वही रोक दिया और हनुमान जी से अपनी हार मान ली।