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Pradosh Vrat 2022 : प्रदोष व्रत पूजा से बुद्धि और शिक्षा का मिलेगा आशीर्वाद

Myjyotish Expert Updated 23 Aug 2022 11:06 AM IST
प्रदोष व्रत पूजा से बुद्धि और शिक्षा का मिलेगा आशीर्वाद
प्रदोष व्रत पूजा से बुद्धि और शिक्षा का मिलेगा आशीर्वाद - फोटो : google
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प्रदोष व्रत पूजा से बुद्धि और शिक्षा का मिलेगा आशीर्वाद 


प्रदोष व्रत या प्रदोषमभगवान शिव के निमित्त रखा जाने वाला व्रत है. इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का पूजन प्रदोष काल समय करना अत्यंत उत्तम माना जाता है. प्रदोष व्रत व्रत कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है.  भाद्रपद माह का पहला प्रदोष व्रत 24 अगस्त को रखा जाएगा. यह कृष्ण पक्ष में बुधवार के दिन होगा. बुधवार के दिन प्रदोष व्रत होने के कारण इसे बुध प्रदोष नाम से भी जाना जाता है.

भाद्रपद माह प्रदोष व्रत तिथि और पूजा का समय
24 अगस्त बुधवार के दिन होने वाले इस व्रत का समय इस प्रकार रहेगा. प्रदोष पूजा का समय 24 अगस्त, शाम 6:48 बजे - 24 अगस्त, रात 9:04 बजे तक होगा. त्रयोदशी तिथि 24 अगस्त, 2022 08:31 पूर्वाह्न से प्रारंभ होगी, त्रयोदशी तिथि समाप्त 25 अगस्त, 2022 सुबह 10:38 बजे होगी. प्रदोष पूजा का समय 24 अगस्त, 06:48 अपराह्न - 24 अगस्त, 09:04 अपराह्न होगा. इस समय के दौरान भगवान शिव पूजन करने के साथ साथ बुध देव का पूजन करना भी अत्यंत उत्तम होगा. 

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प्रदोष व्रत सभी के द्वारा मनाया जा सकता है. देश के विभिन्न हिस्सों में लोग इस व्रत को पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ करते हैं. यह व्रत भगवान शिव और देवी पार्वती के सम्मान में मनाया जाता है.भारत के कुछ हिस्सों में, शिष्य इस दिन भगवान शिव के नटराज रूप की पूजा करते हैं. स्कंद पुराण के अनुसार प्रदोष व्रत पर उपवास करने के दो अलग-अलग तरीके हैं. पहली विधि में, भक्त पूरे दिन और रात, यानी 24 घंटे के लिए सख्त उपवास रखते हैं और जिसमें रात में जागरण भी शामिल है. दूसरी विधि में सूर्योदय से सूर्यास्त तक उपवास रखा जाता है, और शाम को भगवान शिव की पूजा करने के बाद उपवास संपन्न होता है.

हिंदी में 'प्रदोष' शब्द का अर्थ है 'शाम से संबंधित या संबंधित' या 'रात का पहला भाग'. चूंकि यह पवित्र व्रत 'संध्याकाल' के दौरान मनाया जाता है, जो कि शाम को होता है, इसे प्रदोष व्रत कहा जाता है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार यह माना जाता है कि प्रदोष के शुभ दिन पर, भगवान शिव, देवी पार्वती के साथ मिलकर अत्यंत प्रसन्न, प्रसन्न और उदार महसूस करते हैं. इसलिए भगवान शिव के अनुयायी उपवास रखते हैं और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस चुने हुए दिन पर अपने देवता की पूजा करते हैं.

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बुध ग्रह शांति 
बुध ग्रह बुद्धि का मुख्य कारक बनता है, जब ये कमजोर होता है तो व्यक्ति को अपने पद, प्रतिष्ठा, धन, त्वचा से संबंधित कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बुध ग्रह को मिथुन और कन्या राशि का स्वामी माना जाता है. बुध को वाणी और बुद्धि बढ़ाने वाला माना जाता है. जिन लोगों की कुंडली में बुध मजबूत होता है वे व्यवसाय, शिक्षा और करियर के क्षेत्र में नाम कमाते हैं. वहीं अगर कुंडली में बुध कमजोर है तो आपको कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. ऎसे में बुध प्रदोष के दिन कमजोर बुध को मजबूत किया जा सकता है. 

बुध प्रदोष के दिन शिव परिवार पूजन करने से बुध बलवान होता है, इसलिए आज के दिन विधि-विधान से भगवान शिव और गणेश जी की पूजा करनी चाहिए. बुध ग्रह मंत्र "ॐ बुं बुधाय नम:" का 108 बार जाप करना चाहिए. बुध देव का पूजन करना चाहिए.इस दिन हरी मूंग दाल या कोई अन्य हरी सब्जी का दान करना चाहिए. यह फायदेमंद हो सकता है. छोटी कन्याओं को हरे रंग के कपड़े, मीठा भोजन दान करना चाहिए यह बुध ग्रह को मजबूत करने में भी मदद करता है

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