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Home ›   Blogs Hindi ›   Winter Solstice: Now is the shortest day of the year and know what is the reason behind it?

Winter solstice: अब है साल का सबसे छोटा दिन और जानिए कि इसके पीछे का कारण क्या है?

Myjyotish Expert Updated 22 Dec 2022 12:01 PM IST
Winter solstice: अब है साल का सबसे छोटा दिन और जानिए कि इसके पीछे का कारण क्या है?
Winter solstice: अब है साल का सबसे छोटा दिन और जानिए कि इसके पीछे का कारण क्या है? - फोटो : google
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Winter solstice: अब है साल का सबसे छोटा दिन और जानिए कि इसके पीछे का कारण क्या है?


21 और 22 दिसंबर का समय साल का सबसे छोटा दिन कहलाता है. वैज्ञानिक गणनाओं के आधार पर सूर्य की स्थिति को समझते हुए इस इन दिनों में साल के छोटे दिन या बड़े दिन की संज्ञा दी जाती है. साल का सबसे छोटा दिन होने से आज के बाद सूरज से बढ़ने लगेगी दूरी भी बढ़ने लगती है. साल के इस सबसे छोटे दिन को विंटर सॉल्सटिस भी कहते हैं उत्तरी गोलार्द्ध के लिए ये सबसे छोटा दिन तो दक्षिणी गोलार्द्ध के लिए सबसे बड़ा दिन बन जाता है. 

साल का छोटा और बड़ा दिन गणना के आधार पर बदल भी सकता है जो 1 या 2 दिन आगे पिछे हो सकता है. यह दिन साल का सबसे छोटा दिन होता है. सूर्य इस दिन कर्क रेखा से मकर रेखा की तरफ उत्तरायण से दक्षिणायन की ओर प्रवेश करता है. इसके कारण धरती पर सूरज सिर्फ 8 घंटे ही रहता है और 16 घंटे रात होती है. आइये जानते हैं इसे जुड़ी कुछ और बातें.
 
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वर्ष के सभी महीनों में हम दिनों को घटते एवं बढ़ते देखते रहते है. सर्दियों में जहाँ दिन छोटे एवं रातें लम्बी होती है वही गर्मियों में दिन लम्बे एवं रातें छोटी हो जाती है.

क्यों घटते-बढ़ते है दिन
दिनों का छोटा या बड़ा होना खगोलीय घटना पर आधारित होता है सौर संक्रांति का प्रभाव इस पर विशेष रुप से पड़ता है. वर्ष में दो बार, सर्दियों एवं गर्मियों के मौसम में साल के लम्बे ओर छोटे दिन का समय आता है.  इसी घटना के कारण पृथ्वी पर दिनों की अवधि में अंतर आता है एवं दिन छोटे या बड़े होते है.

धरती को भौगोलिक आधार पर 2 भागो में विभाजित किया गया है जिसे उत्तरी गोलार्ध एवं दक्षिणी गोलार्ध के रुप में स्थान प्राप्त होता है. यह विभाजन पृथ्वी की मध्य रेखा से किया गया है जिसे की भूमध्य रेखा  या विषुवत रेखा के नाम से भी जाना जाता है. इसके उत्तरी भाग को उत्तरी गोलार्ध एवं दक्षिणी भाग को दक्षिणी गोलार्ध कहा जाता है.

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उत्तरी गोलार्ध के 23.50 डिग्री उत्तरी अक्षांश रेखा को कर्क रेखा एवं दक्षिणी गोलार्ध के 23.50 डिग्री दक्षिणी अक्षांश रेखा को मकर रेखा कहा जाता है. जब सूर्य उत्तरी गोलार्ध की ओर अग्रसर होता है तो इसे कर्क संक्राति कहा जाता है एवं सूर्य के दक्षिणी गोलार्ध में अग्रसर होने को स्थिति को मकर संक्राति कहा जाता है. सूर्य के कर्क एवं मकर रेखा की ओर अग्रसर होने के कारण ही दिनों की अवधि में अंतर दर्ज किया जाता है.

साल 2022 का सबसे लम्बा और छोटा दिन
सूर्य के कर्क रेखा एवं एवं मकर रेखा की अग्रसर होने के आधार पर ही दिनों की अवधि में अंतर दर्ज किया जाता है. उत्तरी गोलार्ध में सबसे बड़ा दिन 21 जून को दर्ज किया जाता है वही उत्तरी गोलार्ध में सबसे छोटा दिन 22 दिसंबर को दर्ज किया जाता है. 

 

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