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Krishna Janmashtami 2022 : कान्हा की छाती पर क्यों बनाते हैं पैर के चिन्ह, जानें क्या है इसके पीछे वजह

Myjyotish Expert Updated 20 Aug 2022 10:15 AM IST
कान्हा की छाती पर क्यों बनाते हैं पैर के चिन्ह, जानें क्या है इसके पीछे वजह
कान्हा की छाती पर क्यों बनाते हैं पैर के चिन्ह, जानें क्या है इसके पीछे वजह - फोटो : google
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कान्हा की छाती पर क्यों बनाते हैं पैर के चिन्ह, जानें क्या है इसके पीछे वजह


कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी के रोहिणी नक्षत्र में हुआ था,जो अत्यंत ही शुभ माना जाता हैं। द्वापर युग में इसी पावन तिथि पर कान्हा ने धरती पर जन्म लिया था। इस दिन कृष्ण भक्त उपवास भी रहते है। देश हो या विदेश हर जगह बहुत धूम धाम से कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव मनाया जाता है। आइए जानते है की क्यों भगवान श्रीकृष्ण के छाती पर पैर के निशान दिखते है। इसके पीछे वजह क्या हो सकती है।इस तथ्य से जुड़ी कुछ बाते है। 

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पौराणिक कथा के अनुसार एक बार ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवों में चर्चा छिड़ी हुई थी कौन सर्वश्रेष्ठ कौन है? इसका सही जवाब जानने के लिए सभी ऋषियों में प्रमुख भृगु ऋषि के पास जा पहुंचे। कौन सर्वश्रेष्ठ है ये जानने के लिए ऋषि भृगु ने तीनों देवों की बारी बारी से बिन बताए परीक्षा ली। 
सबसे पहले भृगु ऋषि ने ब्रह्माजी जी की परीक्षा ली।ऋषिभृगु ब्रह्मा जी से भेट करने उनके लोग पहुंचे। लेकिन उनको वहां कोई आदर नहीं मिला। तब महर्षि भृगु क्रोधित हो उठे।महर्षि भृगु ने भी ब्रह्माजी को प्रणाम नहीं किया। ब्रह्मा जी भी गुस्से में आ गए। इसके बाद ऋषि शिवलोक के लिए निकल गए।महादेव कैलाश पर ऋषि भृगु को देख कर बहुत प्रसन्न हो गए। खुद महादेव उठकर उनके पास पहुंचे और उन्हें गले लगाने की कोशिश की, लेकिन ऋषि ने महादेव को ये कहकर गले लगाने से मना कर किया कि महादेव आपने चिता की भस्म लगाई है ,जिसे मैं स्पर्श नहीं कर सकता। शिव कोध्रित हो गए उन्होंने अपना त्रिशूल उठा लिया लेकिन इस  अनर्थ को होने से माता पार्वती ने रोक लिया। सबसे अंत में ऋषि भृगु बैकुंठ निवासी नारायण के पास पहुंचे। वहा पर श्री हरि विश्राम कर रहे थे।तब भृगु ऋषि श्रीहरि की छाती पर एक लात मार दिया। इस घटना के बाद भृगु ऋषि को विपरित परिणाम देखने को मिला। श्रीहरि को क्रोध नहीं आया बल्कि उन्होंने ऋषि भृगु से पूछा कि आपको पैरों में चोट तो नहीं आई देव। श्री हरि का ये व्यवहार देखकर महर्षि प्रसन्न हुए और उन्हें सभी देवों में सर्वश्रेष्ठ घोषित किया।तभी से श्री हरि के छाती पर पैर के चिह्न देखने को मिलते है।

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