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Raameshvaram Jyotirling: जहां भगवान राम के अराध्य देव के रुप में पूजे जाते हैं महादेव

Myjyotish Expert Updated 05 Aug 2022 10:09 AM IST
रामेश्वरम तीर्थ
रामेश्वरम तीर्थ - फोटो : google
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जहां भगवान राम के अराध्य देव के रुप में पूजे जाते हैं महादेव 

 
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग मंदिर तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है. रामेश्वरम मंदिर में स्थित ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंग में से एक है और रामेश्वरम को ग्यारहवां ज्योतिर्लिंग माना जाता है. यह हिंदुओं के प्रमुख तीर्थ केंद्रों में से एक है. मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. यह मंदिर हिंदुओं के चार धामों में से एक है. रामेश्वरम चेन्नई से लगभग साढ़े चार मील दक्षिण पूर्व में है. यह एक सुंदर शंख के आकार का द्वीप है जो हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से घिरा हुआ है.

यह स्थान प्राचीन शिव भक्तों कवियों का विशेष स्थान भी रहा है. श्री रामेश्वर मंदिर को रामनाथस्वामी मंदिर ज्योतिर्लिंगों भी कहा जाता है. रामनाथन शब्द का अर्थ है कि भगवान शिव राम के प्रमुख देवता और स्वामी हैं. इस मंदिर का निर्माण भगवान राम ने दक्षिण भारत की अपनी यात्रा के दौरान, राक्षस रावण पर अपनी जीत के बाद किया था. मंदिर अत्यधिक रहस्यमय है और हर दिन हजारों भक्त इस पवित्र स्थान के दर्शन हेतु देश भर से यहां आते हैं. 

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रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग कथा 

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के विषय में मान्यताएं हैं कि इसे भगवान राम और देवी सीता ने रेत और पानी से निर्मित किया था. रामेश्वरम रामनाथस्वामी मंदिर का इतिहास रामायण काल का है. भक्तों का दृढ़ विश्वास है कि भगवान राम ने इस शिवलिंग को बनाया और यहां स्थापित किया. पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान राम और उनकी पत्नी सीता रावण का वध करके लंका से लौट रहे थे, जो राक्षस राज होते हुए भी ब्राह्मण था.क्योंकि ब्राह्मण को मारना अधर्म एवं ब्रह्म हत्या का पाप देता है तब, भगवान राम भगवान शिव की पूजा करना चाहते थे और उनसे इस कृत्य हेतु प्रायश्चित करने की इच्छा रखते हैं. इसलिए उन्होंने भगवान हनुमान को भगवान शिव की मूर्ति लाने के लिए कैलाश पर्वत पर भेजा था. 

भगवान राम और सीता द्वीप पर रह रहे थे और जब उन्होंने पानी पीने की कोशिश की, तो एक आवाज वहां गुंजती है जो भगवान राम से कहती है कि वह हनुमान की वापसी की प्रतीक्षा करने के बजाय बिना पूजा किए पानी पी रहे हैं. तब भगवान राम ने सीता को समुद्र के किनारे की रेत और पानी से एक लिंग बनाने की बात कही. उन्होंने इस रूप में भगवान शिव की पूजा की और दया की याचना की. भगवान शिव ने स्वयं को ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट किया, भगवान राम को आशीर्वाद दिया, और यहां रहना स्वीकार किया. चूंकि भगवान राम ने लिंग की पूजा की थी, इसलिए ज्योतिर्लिंग को रामनाथस्वामी कहा जाता था, और उस स्थान को रामेश्वरम कहा जाता है. 

जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती ह

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग महत्व 
रामेश्वरम रामनाथस्वामी मंदिर का महत्व यह है कि मंदिर के पवित्र स्थान में दो लिंग हैं- एक रामलिंगम जिसे सीता जी द्वारा रेत से निर्मित किया था और दूसरा विश्वलिंगम जो हनुमान जी द्वारा लाया गया. यह देखते हुए कि हनुमान कैलाश से लिंग लाए थे, भगवान राम ने इस विश्वलिंगम की पूजा भी की थी. रामेश्वरम का पूरा द्वीप और आसपास के स्थान भगवान राम के संबंध में हैं. मान्यताओं के अनुसार, रामायण की कई घटनाएं यहां घटीं, और इसलिए, यह स्थान वैष्णव और शैव दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. रामेश्वरम में बहुत से तीर्थ या पवित्र कुएँ हैं,  माना जाता है कि इन कुओं के पानी में चिकित्सीय गुण होते हैं. मान्यता के अनुसार, प्रत्येक तीर्थ के पानी का स्वाद अलग होता है और विभिन्न समाधान प्रदान करता है.

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