दक्षिण भारत में मनाए जाने वाले ओणम पर्व का आखिर क्या धार्मिक महत्व है? आइए आज हम आपको बताते हैं ओणम पर्व की पूजा विधि , शुभ मुहूर्त और इस त्यौहार से जुड़ी पौराणिक कथाl
ओणम दक्षिण भारत के केरल और तमिलनाडु में मनाया जाने वाला एक प्रमुख पर्व है यह हर साल अगस्त-सितंबर के महीने में मनाया जाता है. जिसे मलयालम भाषा में थिरुवोणम भी कहा जाता हैं. इसमें थिरु का अर्थ पवित्र होता है. ओणम का पावन पर्व दक्षिण भारत में दस दिनों तक बड़ी धूूम-धाम से मनया जाता है और इस दिन लोग अपने घरों को रंग-बिरंगे फूलों से सजाते हैं. 23 अगस्त से प्रारंभ हुआ यह पावन पर्व 08 सितंबर तक मनाया जाएगा. इस पावन पर्व की उमंग और रौनक को देखने के लिए लोग देश-विदेश से केरल पहुंचते हैं. आइए ओणम के पावन पर्व से जुड़ी मान्यता, पूजा विधि और धार्मिक महत्व को विस्तार से जानते हैं.
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क्यों मनाया जाता है ओणम
दक्षिण भारत का प्रमुख ओणम पर्व के बारे में मान्यता है कि हर इस मौके पर राजा महाबलि पाताल लोक से धरती पर अपनी प्रजा को आशीर्वाद देने के लिए आते हैं. मान्यता यह भी है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था.
ओणम की पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार इस साल थिरुवोणम् 07 सितंबर 2022 को सायंकाल 04:05 बजे से प्रारंभ होकर 08 सितंबर 2022 को दोपहर 01:40 बजे तक रहेगा. चूंकि ओणम का पावन पर्व थिरुवोणम् नक्षत्र में मनाते हैं, इसलिए यह इस साल 08 सितंबर 2022 को मनाया जाएगा. इस साल ओणम पर सुकर्मा व रवि जैसे शुभ योग बन रहे हैं. मान्यता है कि इसमें विधि-विधान से पूजा करने पर व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैंl
कैसे मनाया जाता है ओणम
ओणम के पर्व पर केरल में लोग अपने घर को फूल, रंगोली आदि से सजाते हुए घर में चड़ी,रसम, पुलीसेरी, खीर आदि स्वादिष्ट पकवान बनाते हैं. इस पर्व पर केरल में तमाम तरह के खेल प्रतियोगिता जैसे जैसे नौका दौड़, भैंस और बैल दौड़ आदि होती है. खुशी एवं उमंग से भरे इस पावन पर्व पर लोग एक-दूसरे के घर में शुभकामना और मिठाइयाँ आदि देने के लिए जाते हैंl
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ओणम से जुड़ी पौराणिक कथा
पौराणिक मान्यता है कि राक्षसों के राजा बलि बहुत पराक्रमी और दानी होने के साथ भगवान विष्णु के भक्त भी थे, लेकिन उन्हें इस बात का बहुत घमंड भी था. जिसे तोड़ने के लिए भगवान विष्णु वामन अवतार लेकर उसके पास तब पहुंचे, जब वह यज्ञ कर रहा था. यज्ञ खत्म होते ही राजा बली ने भगवान के वामन अवतार से दान माँगने को कहा, तब भगवान ने उससे तीन पग जमीन मांग ली. तब राजा बलि ने घमंड में कहा कि आपने तो बहुत छोटी सी चीज मांग ली है. लेकिन भगवान दो पग में ही राजा बली के पूरे राज्य को नाप लिया, इसके बाद तीसरे पग के लिए जब राजा बली के पास कुछ भी देने को न बचा तो उसने अपना सिर उनके सामने आगे कर दिया कि आप यहां रखें. भगवान के पैर रखते ही वह पाताल लोक में समा गया. इस घटना के बाद प्रजा को बहुत दु:ख हुआ तो तब भगवान ने लोगों के शोक को दूर करते हुए राजा बलि को आशीर्वाद दिया कि आप साल में एक बार 10 दिनों तक अपनी प्रजा के बीच रह सकते हैं. मान्यता है कि ओणम के पर्व में राजा बलि आते हैं और अपनी प्रजा के दु:ख दूर करते सुख-समृद्धि प्रदान करते हैंl
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