राखी कब बांधे दिन या रात में, दूर करें अपना कन्फ्यूजन
जब से सावन का महीना शुरू हुआ है तब से त्योहार भी शुरू हो गए है। हर एक त्योहार का एक शुभ मुहूर्त होता है। भाई के हाथ पर राखी बांधने का भी एक शुभ मुहूर्त है। उसी शुभ मुहूर्त में बहनें अपने भी की कलाई पर राखी बांधती हैं। रक्षाबंधन महापर्व पर इस बार भद्रा का साया है, जिसमें किसी भी शुभ कार्य को करने की मनाही होती है। अपने भाई को राखी किस दिन और किस समय बांधे। तो आइए देश के प्रमुख तीर्थ स्थानों से जुड़े विद्वानों की राय के माध्यम से उसका सही जवाब जानते हैं।
क्या कहते हैं काशी के पंडित
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काशी विद्वत परिषद के अनुसार प्रातः 10:38 बजे से लेकर 08:26 मिनट तक भ्रदा रहेगी। रक्षाबंधन के पावन पर्व पर बहनों को अपने भाई की कलाई में रात्रि 08:26 से 12:00 के बीच में राखी बांध देना चाहिए। ध्यान रहे कि रात्रि 12:00 बजे के बाद बहनें राखी न बांधें। क्योंकि इसके बाद का समय में बहन अपने भाई के कलाई पर राखी नहीं बांध सकती है। ये मुहूर्त शुभ नहीं है। पंडित दीपक मालवीय के अनुसार धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु आदि धर्मग्रंथों में दिए गए निर्देशों के आधार पर यह बात पूरी तरह से स्पष्ट है, कि इस साल 12 अगस्त 2022 को रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाया जा सकता है।
उत्तराखंड के ज्योतिषियों की राय
उत्तराखंड ज्योतिष परिषद के अध्यक्ष पं. रमेश सेमवाल के अनुसार इस साल रक्षाबंधन पर्व 11 अगस्त 2022 को ही मनाया जाएगा क्योंकि अपराह्न व्यापिनी पूर्णिमा में भद्रा दोष बना हुआ है। 11 अगस्त को सूर्योदय के साथ चतुर्दशी तिथि रहेगी और हरिद्वार के समय के अनुसार पूर्णिमा तिथि प्रात:काल 10:58 मिनट से आरंभ होगी। जिसके साथ ही भद्रा भी लग जा रहा है, जो कि इस दिन रात को 8:50 मिनट तक रहेगी।शास्त्रों में भद्राकाल में श्रावणी पर्व को मनाने की सख्त मनाही है, ऐसे में बहनों को अपने भाई के हाथ में रात्रि 8:50 के बाद ही राखी बांधना शुभ रहेगा।
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भद्रा में भूलकर नहीं करने चाहिए ये काम
भद्रा काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है।मान्यता है कि यदि भद्रा के समय श्रावणी या फिर रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है , तो राजा की मृत्यु होती है और यदि भद्रा के समय होलिका दहन होता है तो खलिहान में रखी फसल को आग लगने का भय बना रहता है। भद्रा के बारे में कहा जाता है कि इसका बुरा असर वहीं पड़ता है, जहां पर इसका वास होता है। इस काल में तो विवाह, मुंडन, घर बनवाने की शुरुआत, गृह प्रवेश, यज्ञोपवीत, रक्षाबंधन, होलिकादहन आदि कार्य पूरी तरह से वर्जित होते हैं।
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