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Santana Saptami 2022:संतान सप्तमी व्रत कब है? जानिए सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा का महत्व

Myjyotish Expert Updated 02 Sep 2022 04:50 PM IST
संतान सप्तमी व्रत कब है? जानिए सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा का महत्व
संतान सप्तमी व्रत कब है? जानिए सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा का महत्व - फोटो : Google
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संतान सप्तमी व्रत कब है? जानिए सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा का महत्व


संतान सुख एवं संतान के सुखद भविष्य हेतु संतान सप्तमी का व्रत एक अत्यंत ही महत्वपुर्ण समय होता है,. भादो माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी संतान सप्तमी कही जाती है. संतान सप्तमी का व्रत और पूजा संतान के सुख, समृद्धि और सुखी जीवन के लिए की जाती है. संतान सप्तमी का व्रत और पूजा स्वारा निसंतान दंपत्तियों को भी संतान सुख प्राप्त होता है, यह व्रत जीवन में समृद्धि और एवं खुशहाली लाता है. संतान सप्तमी के नाम से ही ज्ञात होता है कि यह व्रत संतान और उसकी भलाई के लिए रखा जाता है. जानिए संतान सप्तमी व्रत की तिथि, मुहूर्त, पूजन का महत्व.

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संतान सप्तमी पूजा समय मुहूर्त 
हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि शुक्रवार, 02 सितंबर को दोपहर 13.52 बजे से शुरू हो रही है और यह तिथि अगले दिन 03 सितंबर, शनिवार को दोपहर 12.29 बजे समाप्त होगी. उदयतिथि की मान्यता के अनुसार संतान सप्तमी का व्रत 03 सितंबर को रखना उचित माना गया है. इस दिन ही व्रत और पूजा करनी चाहिए. तीनों प्रहर सप्तमी व्रत की पूजा करते हैं. इस दिन का शुभ मुहूर्त यानी अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.55 बजे से दोपहर 12.46 बजे तक है. सुबह के समय पूजा करने का समय 07:35 से सुबह 09:10 बजे के बीच शुभ रह सकता है. इसके अलावा बच्चे सप्तमी की पूजा दोपहर 13:55 से शाम 17:05 के मध्य भी शुभ मुहूर्त समय पर होनी होगी. 

संतान सप्तमी के दिन प्रात:काल सूर्योदय से पुर्व उठ कर स्नान इत्यादि कार्यों से निवृत्त होकर व्रत एवं पूजा का संकल्प धारण किया जाता है. माता अपनी संतान की लम्बी आयु उसके जीवन के सुख हेतु करती हैं. संतान सप्तमी व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को मनाया जाता है.इस व्रत में विधि विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है.निःसंतान दंपत्ति संतान प्राप्ति के लिए यह व्रत रखते हैं तो उन्हें भी संतान का सुख अवश्य प्राप्त होता है. इस व्रत में महादेव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. इस व्रत को माता या पिता या स्त्री पुरुष दोनों एक साथ रख सकते हैं. संतान सप्तमी व्रत के दिन ललिता सप्तमी, मुक्ताभरण सप्तमी और अपराजिता सप्तमी भी मनाई जाती है.


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संतान सप्तमी व्रत का महत्व
संतान के सुख, समृद्धि और सुखी जीवन के लिए संतान सप्तमी का व्रत और पूजा करने से सुखों का अगमन होता है.
जिन लोगों को विवाह के बाद लंबे समय तक संतान का सुख नहीं मिल पाता है, वे लोग भी संतान सप्तमी का व्रत रखते हैं.
इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की विधि विधान के अनुसार पूजा की जाती है और कथा का श्रवण किया जाता है. भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस समय पर दान पूजन सभी कार्य अत्यंत ही शुभ फल प्रदान करते हैं. 

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