बुधवार और अष्टमी तिथि का संयोग बनेंगे कई दुर्लभ योग
ज्येष्ठ माह के अंतिम बुधवार यानी 8 जून के दिन अष्टमी तिथि का संयोग बन रहा है और इसी के साथ इस दिन कई अन्य शुभ योगों का निर्माण होगा. बुधवार के दिन जहां शक्ति पूजा उपासना होगी वहीं ग्रह संयोग के कारण कुछ मत्वपूर्ण गोचरीये बदलाव भी देखे जाएंगे. आज के दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र, सिद्धि योग, सूर्य बुध का बुधादित्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग का निर्माण होगा. पंचांग अनुसार बुधवार के दिन का यह योग काफी दुलर्भ एवं शुभ फलदायक है. बुधवार के दिन अष्टमी तिथि का संयोग बुधाष्टमी पर्व का भी होता है. इसी दिन बुध अष्टमी का व्रत भी किया जाएगा. यह व्रत मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला होता है.
आज होगा दो ग्रहों का नक्षत्र परिवर्तन
सूर्य मृगशिरा नक्षत्र में
सूर्य का मृगशिरा नक्षत्र में प्रवेश भी आज के दिन पर ही होगा. बुधवार को दोपहर 12:37 पर सूर्य मृगशिरा नक्षत्र में होंगे और उसके पश्चात मंगल भी रेवती में प्रवेश करेंगे. ऎसे में दो ग्रहों का नक्षत्र परिवर्तन काफी उल्लेखनीय रहने वाला है.
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मंगल रेवती नक्षत्र में
रेवती नक्षत्र में मंगल का प्रवेश होगा. मंगल रेवती में 19:59 के करीब गोचरस्थ होंगे. बुध के स्वामित्व वाले नक्षत्र में तथा मीन राशि में मंगल की स्थिति बदलाव को दिखाने वाली होगी. मौसम के साथ साथ ये बदलाव प्राकृतिक स्थिति में नए चेंज दिखाने वाला होगा. मंगल के इस नक्षत्र में विद्या का आरंभ, गृह प्रवेश, विवाह, सम्मान प्राप्ति, देव प्रतिष्ठा के कार्य करना शुभस्थ होगा. मीन राशि का अंतिम नक्षत्र होने पर इस नक्षत्र में बृहस्पति, बुध एवं मंगल का संयुक्त प्रभाव होगा.
मासिक दुर्गाष्टमी व्रत
बुधवार के दिन ही मासिक दुर्गाष्टमी का पर्व भी मनाया जाएगा. शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि देवी दुर्गा जी को समर्पित होती है तथा बुधवार के दिन अष्टमी आने से यह दिन ओर भी खास होगा. इस दिन देवी पूजन के साथ साथ सिद्धि पूजन भी होगा. इस विशेष दिन में दुर्गा सप्तशति का पाठ करना ओर दुर्गा कवच पढ़ना अत्यंत शुभ होता है. इस समय पर छोटी कन्याओं को घर पर बुलाकर उन्हें प्रसाद खिलाना तथा उनका आशीर्वाद ग्रहण करना हर कार्य में सफलता दिलाने वाला होता है. आज के दिन किया जाने वाला अष्टमी पूजन कोर्ट केस से जुड़े मुद्दों मेम सफलता दिलाता है, ग्रह दोषों की शांति भी होती है.
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धूमावती जयंती पर्व
प्राचीन ग्रंथों में लगभग दस महाविद्याओं का उल्लेख है जिनकी पूजा सभी प्रकार की शक्तियों को प्राप्त करने के लिए की जाती है. तंत्र साधना के लिए महाविद्या पूजा विशेष स्थान रखती है. महाविद्या पूजा को साधना में सिद्धि पाने एवं तंत्र में शक्ति विजय को हासिल करने के लिए जाना जाता है. शक्ति पूजा के विभिन्न रुपों में उपासक एक ही देवी को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए ध्यान केंद्रित करता है. किसी भी साधना में, यंत्र और मंत्र को बहुत प्रभावी माध्यम माना जाता है जिसके माध्यम से उपासक अपने लक्ष्य तक पहुँच सकते हैं और उसे करने के अपने उद्देश्य को पूरा कर सकते हैं. ऎसे में धूमावती जयंती का पूजन भी साधना सिद्धि हेतु अत्यंत महत्वपूर्ण होता है. साधक धूमावती देवी का पूजन करके साधनाओं में सफलता एवं अपने भीतर शक्ति का आगमन प्राप्त करता है.
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