लाल किताब के अनुसार ज्योतिष लोग लोगों की कुंडली व हाथ देखकर उसे नाक छिदवाने की सलाह देते हैं और छिदी हुई नाक में 43 दिनों तक छंडी का तार डालने सलाह देते हैं। आइए जानते हैं कि आखिर नाक कब छिदवाते हैं? और इसमें क्या सावधानी बरतनी चाहिए। लेकिन इससे पहले हम आपको यह जानकारी देंगे कि नाक क्यों छिदवाते हैं? आइए जानें :-
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार यदि जातक की कुंडली में बुध या चंद्र छठे या आठवें भाव में होकर पीड़ित है या किसी भी अन्य भाव में दूषित हो रहे हैं तो
नाक छिदवाते हैं। यह कार्य बुध को ठीक करने के लिए किया जाता है। अगर जातक कुंडली में बुध खाना नंबर 9 में बैठा है या बुध खाना नंबर 12 में बैठा है तो नाक छिदवाई जाती है। लाला किताब कहती है कि ऐसा करने से बुध समाप्त हो जाता है और चंद्र स्थापित हो जाता है।
लाल किताब का कहना है कि नाक का अगला हिस्सा बुध का और पूरी नाक बृहस्पति की होती है। लाला किताब की अनुसार स्वास के जरिए नाक से जिस वायु का आवागमन होता है वह वायु बृहस्पति की होती है। इसलिए यह जरूरी है कि नाक को हमेशा साफ सुथरा रखना चाहिए। यदि आपको सांसों में रुकावट हो रही है तो यह रुकावट गुरु की मानी जाती है, इस रुकावट का बुरा असर बुध पर भी पड़ता है। सासों या गुरु की रुकावट के पीछे राहू का हाथ होता है। यदि आपका बुध खराब होता है तो आपको व्यापार और नौकरी में नुकसान झेलना पड़ सकता है वहीं अगर आपका गुरु खराब होता है तो आपके भाग्य और प्रगति में बाधा उत्पन्न हो सकती है। नौकरी या
व्यापार में कोई बाधा ना उत्पन्न हो हमेशा उन्नति बनी रहे, इस कारण नाक छिदवाते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा पर हरिद्वार में कराएं 365 दीपों का महादान एवं ब्राह्मण भोज, होगी दस महायज्ञों के समान पुण्य की प्राप्ति