गणेश जी का पूजन कभी भी किया जा सकता है परंतु बुधवार को इन्हें विशेषकर पूजा जाता हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि देवगणों ने स्वयं उनकी अग्रपूजा का विधान बनाया है। गणपति जी की पूजा करने से जीवन में संकटों का नाश होता है - धन विद्या , विवेक आदि में बढ़ोतरी होती हैं। बुधवार का दिन पूजा के लिए चुना जानें का एक इस पीछे पौराणिक कथाएँ हैं।
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कहा जाता है कि जब गणेश जी की उत्पत्ति माता पार्वती के हाथों द्वारा हुई थी , तो उस वक़्त बुध देवता स्वयं कैलाश पर मौजूद थे । इसी कारण भगवान गणेश की पूजा के लिए बुधवार का दिन महत्वपूर्ण होता है । बुधवार को गणेश जी की पूजा करने का एक दूसरा कारण भी हैं । कहा जाता है की बुधवार को सौम्यवार भी कहा जाता है और गणेश जी को सौम्यता बहुत प्रिय हैं इसलिए भी बुधवार को गणेश जी का दिन माना गया हैं।
पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहने और फिर गणेश जी की प्रतिमा को मिट्टी और नींबू से अच्छे से साफ करें ।
- मूर्ति का मुख पूर्व या फिर उत्तर दिशा की ओर करके रखे और लाल रंग के आसन पर विराजमान करें।
- गणेश जी की मूर्ति के सामने उनका ध्यान करते हुए पूजन सामग्री जैसे फूल, धूप, दीप, कपूर,मोली,रोली,चंदन और प्रसाद गणेश जी को समर्पित करें।
- गलती से भी पूजन में तुलसी दल और तुलसी पत्र न चढ़ाए।
- भगवान गणेश को मोदक का प्रसाद प्रिय है तो वो बनाएं और पूजा करते वक़्त गुस्सा न करें।
- सभी चीज़े अर्पित करने के बाद ऊं गं गणपतये नम।। मंत्र का 108 बार जाप करें।
- अंत में प्रसाद सबको बांटे और ख़ुद भी खाए।
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