Vrishchik Sankranti 2022: कब है वृश्चिक संक्रांति, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि
संक्रांति के दिन सूर्य देव जब एक राशि से निकल कर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे संक्रमण काल कहा जाता है. सौर मास के लिए ये समय अत्यंत ही विशेष होता है. अब सूर्य ला राशि को छोड़कर वृश्चिक राशि में प्रवेश करने वाले हैं. इस कारण से संक्रांति का समय बहुत विशेष माना जाता है. भगवान सूर्य की पूजा करना इस समय अत्यंत ही शुभ माना जाता है.
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इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर दान करने की भी परंपरा है. इस दिन किया गया दान बहुत पुण्यकारी सिद्ध होता है. इस वर्ष यानि 2022 में वृश्चिक संक्रांति की तिथि 16 नवंबर है. इस दिन सूर्य देव वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे जो अगले एक माह तक इसी राशि में रहेंगे. आइए जानते हैं वृषिक संक्रांति की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में.
वृश्चिक संक्रांति तिथि और शुभ मुहूर्त समय
वृश्चिक संति 16 नवंबर 2022 बुधवार के दिन मनाई जाएगी. वृश्चिक संक्रांति पुण्य काल दोपहर 12:06 बजे से शाम 05:27 बजे तक रहने वाला है. इसकी अवधी अवधि 05 घंटे 21 मिनट तक व्याप्त होगी. संक्रांति महा पुण्य काल - 03:40 अपराह्न से 05:27 अपराह्न तक होगा.
वृश्चिक संक्रांति का महत्व
हिंदू मान्यता के अनुसार संक्रांति तिथि पर सूर्य देव के निमित्त दान, स्नान और पूजा करना शुभ होता है. इस साल 16 नवंबर को शाम 7.27 बजे सूर्य देव वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे. इसके बाद सूर्य देव इस राशि में एक महीने तक रहेंगे.
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हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वृषिक संक्रांति के दिन सूर्य देव की कृपा पाने के लिए भी विशेष उपाय किए जाते हैं. मान्यता है कि इस दिन सूर्य से संबंधित उपाय करने से सूर्य देव की कृपा से नौकरी-व्यवसाय में उन्नति होती है.
वृश्चिक संक्रांति पूजा विधि
वृषिका संक्रांति के दिन सुबह उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए.
इस दिन तांबे के बर्तन में जल भरकर सूर्य देव को लाल चंदन, रोली, हल्दी और सिंदूर मिलाकर अर्पित करना चाहिए.
वृषभ संक्रांति के दिन धूप-दीप से सूर्य देव की आरती करनी चाहिए.
सूर्य की कृपा पाने के लिए सूर्य देव के मंत्रों का जाप करें.
इस संक्रांति में भगवान के सामने घी और लाल चंदन का लेप लगाकर दीपक जलाएं. संक्रांति के दिन सूर्य देव को लाल फूल चढ़ाएं और इसके बाद गुड़ से बना हलवा अर्पित करना चाहिए.
सूर्य देव की पूजा करते समय आदित्याय नमः मंत्र का जाप करते रहना अत्यंत शुभदायक होता है.
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