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Vivah Muhurat 2023: फरवरी में खूब रहेगा विवाह का साया, जानें शादियों के शुभ मुहूर्त

Acharya RajRani Updated 03 Feb 2023 11:57 AM IST
Vivah Muhurat 2023: फरवरी में खूब रहेगा विवाह का साया, जानें शादियों के शुभ मुहूर्त
Vivah Muhurat 2023: फरवरी में खूब रहेगा विवाह का साया, जानें शादियों के शुभ मुहूर्त - फोटो : google
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फरवरी में खूब रहेगा विवाह का साया, जानें शादियों के शुभ मुहूर्त


विवाह मुहूर्त में फरवरी के माह में कई सारे मुहूर्त बनेंगे. इस समय पर 6 फरवरी से शुरू हो रहे विवाह मुहूर्त 28 फरवरी तक बने रहने वाले हैं. इस समय बहुत से दिन शादियों की तारीख के लिए मिलने वाले हैं. इस हफ्ते यानी 6 फरवरी से शादियों का शुभ मुहूर्त शुरू हो रहा है. इसलिए फरवरी में आपको शादी के ढेर सारे कार्ड मिलने वाले हैं.

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पंचांग के अनुसार फरवरी में विवाह के लिए कुल 13 शुभ मुहूर्त हैं.  जनवरी के बाद फरवरी में भी जमकर शहनाइयां बजने वाली हैं. 6 फरवरी से शुरू हो रहे विवाह के शुभ मुहूर्त 28 फरवरी तक रहेंगे. एक के बाद एक शादियों की तारीखें आ रही हैं. बता दें कि इस साल दो खरमास पड़ रहे हैं. खबरों के मुताबिक पहला खरमास 15 मार्च से 14 अप्रैल तक रहेगा. जबकि दूसरा खरमास इस साल 16 दिसंबर से 14 जनवरी 2024 तक रहेगा.

फरवरी 2023 में आने वाले शादियों के शुभ मुहूत्त

6 फरवरी , 7 फरवरी, 8 फरवरी, 9 फरवरी, 10 फरवरी, 12 फरवरी, 13 फरवरी, 14 फरवरी, 15 फरवरी, 17 फरवरी, 22 फरवरी, 23 फरवरी, 28 फरवरी. यह सभी दिन विवाह के लिए शुभ रहेंगे. 

खरमास और तारा अस्त में कोई भी शुभ कार्य नहीं होता है
विवाह के लिए कुछ माह ओर कुछ ग्रहों का अस्त होना उचित नही माना गया है. इस समय में खरमास ओर बृहस्पति व शुक्र का अस्त होना भी शुभ नहीं होता है. खरमास में किसी भी प्रकार के कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य नहीं होते हैं. खरमास को लेकर एक पौराणिक कथा है. एक बार भगवान सूर्य अपने सात घोड़ों वाले रथ पर सवार होकर ब्रह्मांड की परिक्रमा कर रहे थे. अधिक समय लगने के कारण उनके रथ के घोड़े थक गए.

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इस पर उसने एक नदी के किनारे खड़े दो गधों (खर) को रथ में जोड़ लिया और रथ के दोनों घोड़ों को आराम करने के लिए रोक दिया. रथ में गधों को शामिल करने के कारण यात्रा की गति धीमी हो गई इस वजह से हर साल खरमास आता है. किसी भी तरह के शुभ कार्य करने की मनाही होती है. माना जाता है कि इस समय संबंध, विवाह, गृह प्रवेश या भूमि पूजन, मुंडन या तिलकोत्सव, यज्ञोपवीत संस्कार यानी जनेऊ, और नए कार्य या नई चीजों की शुरुआत करने से बचा जाता है.

इसके अलावा गुरु और शुक्र विवाह के नैसर्गिक कारक होते हैं . इनका अस्त होना उचित नही होता है. इनके अस्त होने पर विवाह का सुख कमजोर होता है, मांगलिक कार्यों के सुख की प्राप्ति में इन दोनों ग्रहों की शुभता ही विवाह के लिए उपयुक्त होती है. 
 

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