Vivah Muhurat 2022: 4 नवंबर के बाद शुरू हो जाएंगे मांगलिक कार्य, जानें नवंबर-मार्च तक शादी मुहूर्त और पूजा विधि
देव उठनी एकादशी शुक्रवार 4 नवंबर 2022 को है. इस दिन के बाद से मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे. आइए जानते हैं नवंबर से मार्च 2023 तक शादी के मुहूर्त
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
जुलाई माह में देवशयनी एकादशी से श्री हरि विष्णु चार माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं. उसके बाद देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का शयन काल समाप्त होता है और इसी दिन से विवाह और अन्य मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं. ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस बार देव उठनी एकादशी शुक्रवार 4 नवंबर 2022 को है.
कब बजेगी शहनाईयां ?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन से भगवान विष्णु अपना कार्यभार संभालते हैं और इस दिन संध्याकाल में द्वादशी तिथि लग रही है जिसमें तुलसी विवाह किया जाता है. हिंदू धर्म में किसी भी मांगलिक कार्य को करने के लिए शुभ समय देखना आवश्यक होता है. ग्रह-नक्षत्रों के संयोग से बने शुभ योग में ही शादी, मुंडन, जनेऊ, ग्रह-प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य किए जाते हैं.
ऐसा इसलिए क्योंकि कहा जाता है शुभ मुहूर्त में किए गए मांगलिक और शुभ कार्य बिना किसी विघ्न बाधा के संपन्न होते हैं. शादी-विवाह के लिए सबसे ज्यादा शुभ मुहूर्त का ख्याल रखा जाता है. ज्योतिषाचार्य ने बताया कि नवंबर से शादियों का सीजन शुरू हो रहा है. इस साल नवंबर से लेकर अगले साल मार्च तक खूब शहनाइयां बजेंगी.
देव उठनी एकादशी पर नहीं है शादी मुहूर्त
देव उठनी एकादशी 4 नवंबर को है लेकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दौरान सूर्य की स्थिति विवाह के लिए उचित नहीं है. ज्योतिषाचार्यों की मानें तो इस दौरान वृश्चिक राशि में सूर्य न होने के कारण देव उठने के बाद भी विवाह के लिए कोई मुहूर्त नहीं है.
नवंबर 2022 - मार्च 2023 तक शादी मुहूर्त :
नंवबर 2022 विवाह के मुहूर्त- 21, 24, 25, 27 नवंबर l
दिसंबर 2022 विवाह के मुहूर्त- 2, 7, 8, 9, 14 दिसंबर l
जनवरी 2023 शादी मुहूर्त- 15, 18, 25, 26, 27, 30, 31 जनवरी 2023l
फरवरी 2023 शादी मुहूर्त- 6, 7, 9, 10, 12, 13, 14, 22, 23, 28 फरवरी 2023l
मार्च 2023 शादी मुहूर्त- 6, 9, 11 और 13 मार्च 2023 l
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एकादशी पूजा- विधि-
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह भी होता है।
इस दिन भगवान विष्णु के शालीग्राम अवतार और माता तुलसी का विवाह किया जाता है।
इस दिन माता तुलसी और शालीग्राम भगवान की भी विधि- विधान से पूजा करें।
भगवान की आरती करें।
भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।
इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
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