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Vikat Sankashti Chaturthi 2023: जानें कब है इस साल विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत, जानें पूजा विधि

MyJyotish Expert Updated 10 Apr 2023 11:03 AM IST
ganesh mahotsav 2021
ganesh mahotsav 2021 - फोटो : google photo
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जानें कब है इस साल विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत, जानें पूजा विधि 


हिंदू धर्म में लंबोदर, गजनान और ऋद्धि-सिद्धि के दाता कहलाने वाले भगवान श्री गणेश एक ऐसे देवता हैं, जिनकी पूजा सभी देवताओं से पहले की जाती है क्योंकि वे सभी कार्य को सिद्ध करके सभी विघ्न-बाधाओं को दूर करने वाले माने गए हैं. गणपति की पूजा के लिए हर महीने कृष्णपक्ष और शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि पर दो बार व्रत रखा जाता है. वैशाख मास की चतुर्थी तिथि पर रखे जाने वाले व्रत को विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत कहा गया है.

सनातन परंपरा में विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत को जीवन से जुड़े सभी दु:ख और बाधा को दूर करना वाला माना गया है. मान्यता है कि गणपति बप्पा से जुड़े इस व्रत को करते ही साधक के जीवन में आ रही सभी बाधाएं पलक झपकते दूर हो जाती हैं और उसके सभी अटके काम जल्द ही पूरे हो जाते हैं. आइए जानते हैं कि इस साल विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत कब पड़ेगा और क्या है इस व्रत की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त.

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विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार इस साल भगवान श्री गणेश की कृपा बरसाने वाला विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत 09 अप्रैल 2021 को रखा जाएगा. पंचांग के अनुसार वैशाख मास की जिस चतुर्थी पर यह व्रत पड़ता है वो 09 अप्रैल 2023 को प्रात:काल 09:35 से प्रारंभ होकर 10 अप्रैल 2023 को प्रात:काल 08:37 बजे समाप्त होगी. वहीं विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन चन्द्रोदय रात्रि 10:02 बजे होगा.

विकट संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि

गणपति से मनचाहा आशीर्वाद और जीवन से जुड़े सभी संकटों को दूर करने के लिए इस साल विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान ध्यान करने के बाद साफ कपड़े पहनें. फिर एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर को रखें. इसके बाद गणपति को गंगाजल से पवित्र करें और फल, फूल, अक्षत, रोली, चंदन, धूप, दीप, दूर्वा आदि चढ़ाकर उनकी पूजा करें.

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गणपति की पूजा में आप उनके मंत्र, गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ या फिर उनकी आरती करके इस दिन का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं. गणपति की पूजा में उनका प्रिय भोग मोदक जरूर चढ़ाएं. विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत वाले दिन शाम के समय चंद्र देवता के दर्शन का बहुत पुण्य फल माना गया है. ऐसे में चंद्रमा का दर्शन और पूजन करें. इसके बाद ही व्रत का पारण करें.
 

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