घटस्थापना मुहूर्त
देवी पुराण के अनुसार चैत्र शुक्र प्रतिपदा पर वासन्तीय नवरात्रि प्रारम्भ होती है। प्रातःकाल ही घट स्थापना करें व पूजा करें।
देश के प्रमुख नगरों के लिए घट स्थापना के मुहूर्त दिए गए हैं।
मुंबई 06:42 से 10:42
दिल्ली 06:22 से 10:22
चेन्नई 06:14 से 10:14
चंडीगढ़ 06:24 से 10:24
जयपुर 06:29 से 10:29
अहमदाबाद 06:42 से 10:42
लख़नऊ 06:08 से 10:08
वाराणसी 06:00 से 10:00
बैंगलोर 06:24 से 10:24
हैदराबाद 06:20 से 10:20
कोलकाता 05:39 से 9:59
जो व्यक्ति घर में कलश स्थापना नहीं करते हों वह इस अवधि में देवी की प्रतिमा या तस्वीर पर फूल अर्पण कर एक दिया जलाकर संकल्प करें। जो निभा पाएं वही संकल्प करें जैसे की नित्य पूजा पाठ।
व्रत
नवरात्रि में व्रत का विधान है परन्तु अगर किसी का सामर्थ्य ना हो तो शास्त्रों में इस हेतु भी विकल्प मौजूद है। यह व्रत प्रतिनिधि के द्वारा कराया जा सकता है। पति -पत्नी ,पुत्र ,अथवा ब्राह्मण में से किसी को भी प्रतिनिधि बनाया जा सकता है। आरम्भ या समर्पित के एक व्रत को एकराद व्रत कहते है। माँ के भक्तों को कम से कम एकराद जरूर रखना चाहिए।
देवी अर्चना
सामर्थ्यानुसार मूर्ति,चितपत और घट स्थापना करें। स्वस्तिक और दोनों पार्शव मार्ग में तिथियूह अंकित कर चितपट का पूजन करें। ध्यान रहे काली भी दुर्गा का ही रूप है अतः काली का चितपट का व्यव्हार किया जा सकता है। नित्यकर्म समाप्त कर सामग्री एकत्रित करके पवित्र आसान पर पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठें आचमन आसन शुद्धि कर रक्षा दीपक जला लें। पंचोपचार और षोडश उपचारों से श्रद्धाभाव से एकाग्रचित्त होकर पूजन करें।
निम्न सामग्री की आवश्यकता होती है जो हर घर में मिल जाती है । पांच, फल, पांच पुष्प, धूप-दीप, गन्ध, अक्षत, भोग के लिए घर में पकाई गई खीर व हलुवा आदि । फलों में अनार, नारियल, नारंगी कुछ भी मिल जाए, पुष्पों में गुड़हल, कनेर, चंपा आदि। लाल रंग का फल या फूल देवी का प्रिय है।
मंत्र और जाप
ॐ दूँ दुर्गायै नमः
यह मंत्र है। नौ दिन जप करें। हर समस्या का निदान मिलेगा। नौकरी व करियर के लिए उत्तम है।
ॐ ऐ हीं क्लीं चामुडायै विच्चै
यह भगवती का परम प्रसिद्ध मंत्र है। दुर्गा कृपा के लिए श्रेष्ठ है।व्यवसायियों के लिए लाभकारी है।
ॐ ऐ सरस्वतीए नमः
परीक्षार्थियों के लिए उत्तम मंत्र है।
दुर्गा का जो निधित्व पाठ ना कर सकें वो 10 रोज 32 नाम माला का पाठ करें।
वह यह भी न कर सकें तो वह केवल माता की पूजा करें तथा दीप ज्योत जलाकर लाल स्याही से दुर्गा नाम लिखे।
विशेष कड़ाही पूजा
अष्टमी और नवमी के दिन कड़ाही की पूजा करनी चाहिए। कड़ाही की पूजा में कड़ाही में मौली बांधकर रोली से ॐ लिखे तथा उसपर 'ॐ अनपुरनिये नमः' कह पूजा करें। नारियल के छोटे छोटे टुकड़े कर उसे प्रसाद मिलाकर रख दें। कुमारी कंजकों को भोजन कराएं। अक्षत पुष्प चारों, आरती के पश्चात विसर्जन करें। नमस्कार कर क्षमा प्रार्थनाकर विसर्जन करें।
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