जानें कब है वैशाख पूर्णिमा और इस दिन कैसे करें पूजा
हिंदू धर्म में हर पूर्णिमा को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। लेकिन वैशाख पूर्णिमा बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस दिन बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। इस वर्ष बुद्ध पूर्णिमा 16 मई 2022 सोमवार के दिन मनाई जाएगी। पूर्णिमा की तिथि 15 मई दिन रविवार की रात को 12:45 मिनट से आरंभ हो जाएगी और अगले दिन 16 मई सोमवार को रात 9:45 मिनट तक रहेंगी।
लेकिन उदयातिथि पर पूर्णिमा 16 मई को है इसलिए पूर्णिमा इस वर्ष 16 मई को मनाई जाएगी। पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और चंद्रदेव की पूजा का तो महत्त्व है ही लेकिन वैशाख पूर्णिमा पर भगवान बुद्ध की भी पूजा होती है क्योंकि इस दिन उनका जन्म हुआ था। आज हम आपको इस लेख में बताएंगे कि पूर्णिमा के दिन पूजा किस विधि अनुसार करनी चाहिए और पूर्णिमा का व्रत करने से किन लाभों की प्राप्ति होती है।
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सबसे पहले जानते हैं कि पूर्णिमा की पूजा कैसे करनी चाहिए
पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और अपने स्नान वाले पानी में गंगाजल अवश्य मिलाएं। उसके बाद अपने घर के मंदिर की अच्छे से साफ सफाई करें और उसमें गंगाजल छिड़ककर उसे शुद्ध कर लें। अब इसके बाद सभी देवी देवताओं का आह्वान करें और भगवान विष्णु की प्रतिमा पर हल्दी से अभिषेक करें या उनका हल्दी से तिलक करें और उसके बाद उन्हें तुलसी दल अर्पित करें। भगवान विष्णु को तुलसी दल अति प्रिय है इसलिए इनकी हर पूजा में इन्हें तुलसी दल अवश्य अर्पित करने चाहिए इससे पूजा पूर्ण मानी जाती है। पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के साथ साथ देवी लक्ष्मी की भी पूजा अवश्य करें।
इसके बाद देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु को सात्विक चीजों का भोग अर्पित करें और उनके सम्मुख व्रत करने का संकल्प लें। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्त्व है। इसलिए इस दिन व्रत चंद्रमा को जल देने के बाद ही खोला जाता है। जिन लोगों ने व्रत रखा है वह लोग चंद्रोदय के बाद चंद्र दर्शन करें और चंद्रमा को जल अर्पित करने के बाद अपना व्रत खोलें। इस प्रकार पूजा करने से आपको शुभ फल प्राप्त होंगे।
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अब जानते हैं कि पूर्णिमा का व्रत रखने से किन लाभों की प्राप्ति होती है
आपको बता दे की जो लोग पूर्णिमा का व्रत रखते हैं उन पर भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी और चंद्र देव की कृपा बनी रहती है। पूर्णिमा का व्रत महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि जो लोग भी पूर्णिमा का व्रत रखते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। हिंदू धर्म शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि पूर्णिमा के दिन स्नान और दान करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है।
जो भी लोग पूर्णिमा के दिन सच्चे मन से व्रत करते हैं उनकी सभी परेशानियां दूर हो जाती है। कुंडली में मौजूद चंद्र दोष को दूर करने के लिए भी पूर्णिमा का दिन सबसे उत्तम दिन माना जाता है।
पूर्णिमा के दिन व्रत करने से व्यक्ति की मानसिक दृढ़ता बढ़ती है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार पूर्णिमा के दिन चंद्रमा और सूर्य आमने सामने होते हैं और इस दिन जातक के ऊपर चंद्रमा का प्रभाव अधिक पड़ता है। जो भी व्यक्ति पूर्णिमा के दिन व्रत करता है उसे चन्द्रमा विशेष लाभ प्रदान करता है।
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