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Kajari Teej 2022 Date: इस दिन है कजरी तीज, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

MyJyotish Expert Updated 12 Aug 2022 10:11 AM IST
इस दिन है कजरी तीज, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
इस दिन है कजरी तीज, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि - फोटो : Google
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इस दिन है कजरी तीज, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि


कजरी तीज सुहागन महिलाओं के लिए प्रमुख माना जाता है। विवाहित महिलाएं इस दिन पति की लम्बी आयु और वैवाहिक जीवन की सुख प्राप्ति के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। कजरी तीज काजली तीज के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है, जिसमें चंद्रमा की प्रार्थना करना भी शामिल है।कजरी तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना की जाती है।इसके साथ ही इस दिन नीमड़ी माता की भी पूजा की जाती है।

हिंदू पंचांग के मुताबिक भादो मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज व्रत होगा। तात्पर्य 14 अगस्त 2022,दिन रविवार को कजरी तीज  मनाई जाएगी।कई जगहों पर कजरी तीज को कजली तीज या सातूड़ी तीज भी कहा जाता है।दूसरे तीज त्योहार की तरह इस तीज का भी अलग महत्त्व है। तीज एक ऐसा त्योहार है, जो शादीशुदा लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।पति पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए तीज का व्रत रखा जाता है। हमारे देश में शादी का बंधन सबसे अटूट माना जाता है।मान्यता है की इस दिन कुआरी लड़कियां भी अच्छा वर पाने के लिए यह व्रत रखती है। आइए जानते है कजरी तीज व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि ;

आज ही करें बात देश के जानें - माने ज्योतिषियों से और पाएं अपनीहर परेशानी का हल 

कजरी तीज 2022 शुभ मुहूर्त : 

हिंदू पंचांग के अनुसार कजरी तीज तृतीया तिथि 13 अगस्त 2022 की रात 12 : 55 मिनट पर शुरू होगी और 14 अगस्त 2022 की रात 10 : 37 मिनट पर पर तृतीया तिथि समाप्त हो जाएगी। 

कजरी तीज की पूजा विधि

इस दिन सुबह उठकर स्नान करके सूर्य देव को अर्घ्य देकर आप पहले नियमित पूजा पाठ कर ले। कजरी तीज के दिन भगवान शिव और पार्वती की उपासना की जाती है. इस दिन नीमड़ी माता की पूजा की जाती है।कुछ रेत जमाकर के एक छोटा सा तालाब बनाएं।इस बात का ध्यान दे की तालाब सही से बना हुआ होना चाहिए ताकि जब उसमे पानी डाले तब पानी बाहर ना निकले। तालाब के किनारे और मध्य में नीम की एक डाली को लगा कर इसके ऊपर लाल रंग की चुनरी डाल दीजिये।इसके बाद माता लक्ष्मी और गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर के इनकी पूजा करें।फिर 
तालाब में कच्चा दूध और जल डाल कर एक दीपक  प्रज्वलित किया जाता है।पूरे विधि विधान के साथ नीमड़ी माता को केला, सेब, सत्तू, नींबू, ककड़ी, रोली, मौली और अक्षत अर्पित करना चाहिए। घी और मेवे से बना भोग चढ़ाएं। शाम को पूजा के बाद रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर इस व्रत को खोला जाता है।

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