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Ganesh Avatar: गणेश जी ने लिए थे ये प्रमुख अवतार, हर नाम का है विशेष महत्व

Myjyotish Expert Updated 06 Sep 2022 12:03 PM IST
गणेश जी ने लिए थे ये प्रमुख अवतार, हर नाम का है विशेष महत्व
गणेश जी ने लिए थे ये प्रमुख अवतार, हर नाम का है विशेष महत्व - फोटो : google
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गणेश जी ने लिए थे ये प्रमुख अवतार, हर नाम का है विशेष महत्व


देशभर में गणेश उत्सव उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. इस समय पर लोग अपने घरों में गणपति की स्थापना करते हैं. चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक बप्पा के नाम से गणेश जी का संबंधन होता है. मान्यता है कि वह दुखों को दूर करते हैं ओर उनकी स्थापना के साथ ही जीवन में सभी सुख आते हैं. गणेश जी के अनेक नाम हैं और उनके प्रत्येक नाम की कथा भी विशेष है. श्री गणेश जी के विभिन्न नामों का जाप करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. श्री गणेश जी ने 8 प्रमुख अवतार लिए हैं, हर अवतार के नाम का विशेष महत्व है. 

गणेश जी के अन्य नाम और अवतार
वक्रतुंड: इसका अर्थ है टेढ़े सूंड वाले, भगवान गणेश जी ने मत्सरासुर को मारने के लिए वक्रतुंड अवतार लिया था. इस अवतार में गणेश जी का वाहन सिंह है. इस अवतार का पूजन करने से सभी प्रकार की सुरक्षा एवं शक्ति की प्राप्ति होती है. जीवन में कष्टों का शमन होता है.

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एकदंत: गणेश जी को एकदंत भी कहते हैं क्योंकि उनका एक दांत परशुराम जी से युद्ध करते समय टूट गया था. हालांकि एकदंत अवतार उन्होंने मदासुर का वध करने के लिए किया था. इस अवतार में उनका वाहन मूषक था. भगवान के इस अवतार का पूजन करने से सभी रोगों का नाश होता है. जीवन में सफलता प्राप्त होती है.

गजानन: गणपति जी को गजानन भी कहते हैं क्योंकि उनका मुख गज यानि हाथी का है. यह अवतार उन्होंने लोभासुर के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए लिया था. इस अवतार में भी वे मूषक पर सवार थे.भगवान के इस अवतार का पूजन करने से व्यक्ति का जीवन सुखमय होता है. आर्थिक सुख समृद्धि का आगमन होता है. नाम एवं यश की प्राप्ति होती है.

विकट: विकट का अर्थ विकट परिस्थितियों में भी सफल होने से है. इस अवतार में गणेश जी कामासुर को परास्त करते हैं. उनका वाहन मोर है. यह अवतार जीवन के सभी पाप कर्मों को समाप्त कर देता है. 
 
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लंबोदर: इसका अर्थ है बड़े पेट वाले. गणेश जी ने अजेय क्रोधासुर को हराने के लिए लंबोदर अवतार लिया था.

विघ्नराज: गणेश जी ने देवताओं पर आई विघ्न-बाधाओं को दूर करने के लिए यह अवतार लिया. इस अवतार में उन्होंने ममतासुर को परास्त किया था.

धूम्रवर्ण: मूषक पर सवार होकर गणेश जी ने यह अवतार धारण किया था. उन्होंने अहंतासुर को परास्त किया. इस अवतार में गणेश जी का रंग धुंए के समान था, इसलिए उनका नाम धूम्रवर्ण पड़ा.

महोदर: गणेश जी ने मोहासुर को मारने के लिए महोदार अवतार धारण किया था. इसमें भी उनका वाहन मूषक था.
इस प्रकार भगवान के सभी अवतारों का संबंध किसी न किसी घटना से जुड़ा है और प्रत्येक अवतार जीवन में नवीनता एवं शुभता प्रदान करने का मार्ग भी बनता है. 

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