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Sawan 2022 : सावन का चौथा अंतिम सोमवार, इस विधि से करें पूजा

MyJyotish Expert Updated 06 Aug 2022 01:44 PM IST
सावन का चौथा अंतिम सोमवार, इस विधि से करें पूजा
सावन का चौथा अंतिम सोमवार, इस विधि से करें पूजा - फोटो : google
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सावन का चौथा अंतिम सोमवार, इस विधि से करें पूजा


भगवान शिव का आशीर्वाद लेने के लिए सबसे शुभ महीना माना जाता है, सावन या श्रावण का महीना चल रहा है. हिंदू पंचांग के अनुसार पूरे महीने को शुभ माना जाता है, लेकिन इस महीने में पड़ने वाले सोमवार का विशेष महत्व है. भगवान शिव के उपासक सोमवार को उपवास रखते हैं जिसे सोमवार व्रत के रूप में भी जाना जाता है और कुछ क्या करें और क्या न करें का पालन करते हैं. भक्तों का मानना है कि भगवान शिव की भक्ति जीवन में समृद्धि और सुख सुनिश्चित करती है.सावन का महीना चल रहा है. सावन के महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है. भगवान शिव की पूजा करने से भी कई मनोकामनाएं पूरी होती हैं. सावन के महीने में सोमवार का विशेष महत्व माना जाता है. अब तक सावन का पहला सोमवार, दूसरा सोमवार और तीसरा सोमवार बीत चुका है, अब सावन का चौथा सोमवार आने वाला है.

इस वर्ष सावन का चौथा सोमवार 8 अगस्त को मनाया जा रहा है. सावन का चौथा सोमवार शुक्ल पक्ष के अवसर पर पड़ेगा. शुक्ल पक्ष में आने वाला सोमवार काफी विशेष होता है. इस समय चंद्रमा का पक्ष भी मजबूत होता है. यह समय पूजा के लिए उत्तम माना जाता है. शुक्ल पक्ष के सोमवार से ही किसी भी व्रत का आरंभ करना पूजा आरंभ करना कोई संकल्प लेना इत्यादि शुभ होता है. ये समय किसी भी कार्य के आरंभ करने के लिए भी अत्यंत अनुकूल माना जाता है.

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सावन शिवरात्रि 2022: महत्व, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और मंत्र
सावन का चौथा और आखिरी सोमवार 8 अगस्त को पड़ रहा है. पंचांग के अनुसार इस दिन सावन शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है. ऐसे में इस दिन सावन पुत्रदा एकादशी का विशेष योग बन रहा है. इसके साथ ही इस दिन रवि योग का शुभ संयोग बन रहा है। सावन के चौथे सोमवार को एक साथ 3-3 शुभ योग बनने से सोमवार व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है. ऐसी मान्यता है कि एकादशी और सावन सोमवार का व्रत एक साथ करने से भगवान शिव और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है.

पूजा विधि और मंत्र
उपासक उपवास रखते हैं और केवल फल और जल का सेवन करते हैं. भक्त देश भर के शिव मंदिरों में जाते हैं और महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करते हैं, -ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्   मंत्र का ध्यान करते हुए 'ऊं नमः शिवाय' का जाप करते रहना चाहिए. यह सावन के महीने में सभी दिनों के लिए उत्तम मंत्र है. भक्त भगवान शिव को बिल्वपत्र के साथ दूध, दही, घी, गंगाजल और शहद का मिश्रण पंचामृत चढ़ाते हैं. रुद्राक्ष की माला पहनते हैं और प्रत्येक सोमवार को श्रवण सोमवार व्रत का पन क्रते हैं कथा का पाठ करते हैं.

इस दिन भक्तों को शराब का सेवन नहीं करना चाहिए और मांसाहार से दूर रहना चाहिए. तामसिक वस्तुओं का परहेज किया जाता है. सावन के महीने में, भक्त हरिद्वार इत्यादि धर्म तीर्थों की यात्रा भी संपन्न करते हैं. 

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