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Mangla Gauri Vrat 2022 : सावन का चौथा और अंतिम मंगला गौरी व्रत

Myjyotish Expert Updated 09 Aug 2022 11:23 AM IST
सावन का चौथा और अंतिम मंगला गौरी व्रत
सावन का चौथा और अंतिम मंगला गौरी व्रत - फोटो : google
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सावन का चौथा और अंतिम मंगला गौरी व्रत 


श्रावण मास के सभी मंगलवार, सभी व्रतों को मंगला गौरी व्रत कहा जाता है. मंगलवार का व्रत रखने के कारण इस व्रत को मंगला गौरी व्रत कहा जाता है. हिंदू कैलेंडर में, श्रावण का महीना भगवान शिव और माता गौरी को समर्पित है. श्रावण के महीने में या श्रावण के महीने की शुरुआत से यह व्रत करने वाली महिला अगले सोलह सप्ताह तक उपवास करने का फैसला करती है. मंगल गौरी का व्रत केवल महिलाएं ही करती हैं. महिलाएं, मुख्य रूप से नवविवाहित महिलाएं, सुखी वैवाहिक जीवन के लिए मां गौरी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यह व्रत करती हैं.

चतुर्थी मंगला गौरी व्रत - 9 अगस्त 2022, मंगलवार

देवी पार्वती की पूजा के साथ ही इस दिन व्रत कथा भी होती है. मंगला गौरी कथा  इस त्योहार के महत्व को बताती है और बताती है कि महिलाएं इसे क्यों मनाती हैं. श्रवण माह के मंगला गौरी व्रत को वैवाहिक सुख को पाने हेतु उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है. अपने जीवन साथी की भलाई के लिए महिलाएं एक दिन का व्रत रखती हैं तथा  भगवान शिव, देवी पार्वती और भगवान गणेश की पूजा करती हैं. विवाहित महिलाएं और अविवाहित लड़कियां सभी इस दिन को श्रद्धा के साथ मनाती हैं. जहां विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं वहीं मंगलागौरी का व्रत अविवाहित लड़कियां मनचाहा वर पाने के लिए करती हैं. इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत भी रखती हैं. इस दिन पूजा करने के अलावा कथा भी अवश्य पढ़नी चाहिए, तभी व्रत को सफल माना जाता है. आइए जानते हैं कथा के बारे में. मंगला गौरी पर्व भगवान शिव और उनकी पत्नी देवी पार्वती को समर्पित त्योहार है.

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मंगलागौरी व्रत कथा 
भगवान शिव को पाने के लिए माता पार्वती ने कठोर तत्पस्या की थी. इससे संबंधित कथा को भगवान शिव देवी को उनके पूर्व जन्म की याद दिलाते हुएसुनाते हैं - हे पार्वती! मुझे पति के रूप में पाने के लिए आपने हिमालय में अन्न और जल का त्याग किया और सर्दी, गर्मी और बारिश जैसे सभी मौसमों को सहकर बहुत कठिन तपस्या की थी. आपको इस तरह देखकर आपके पिता पर्वतराज को बहुत दुख हुआ क्योंकि अपनी पुत्री पार्वती का विवाह भगवान विष्णु से कराने के लिए तैयार हो गए थे, लेकिन जब आपके पिता ने आपको यह समाचार सुनाते हैं, तो आपको बहुत दुख हुआ.

पार्वती आपने मुझे को अपना पति मान लिया था. फिर आपने अपनी सखी को यह व्यथा बताई इस पर सखी ने आपको घने जंगल में रहने और तपस्या करने को कहा तब पार्वती जी जंगल में जाकर शिव को पाने के लिए बहुत तपस्या करती हैं. क्योंकि तुम एक गुफा में रेत से शिवलिंग बनाकर मेरी पूजा करने में लीन थीं मैं तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न हुआ और तुम्हारी मनोकामना पूर्ण करने का वचन दिया. इसी बीच तुम्हारे पिता भी उसे ढूंढते हुए गुफा में पहुंच गए. आपने अपने पिता को सब कुछ बता दिया.शिव ने कहा कि पार्वती, तुम्हारी बात सुनकर तुम्हारे पिता पर्वतराज मान गए और उन्होंने विधि-विधान से हमारा विवाह करा दिया. शिव ने कहा कि हे पार्वती! आपकी कठोर तपस्या के परिणामस्वरूप हमने विवाह किया है. इसलिए जो स्त्री इस व्रत को निष्ठापूर्वक करती है, उसे मैं मनचाहा फल देता हूं.

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