सावन माह की दुर्गाष्टमी होती है खास, जानें पूजा संबंधी विशेष नियम
मां दुर्गा की पूजा का विशेष महत्व होता है और प्रत्येक माह की अष्टमी तिथि मासिक दुर्गाष्टमी के रुप में मनाई जाती है. कहा जाता है कि हर महीने विधि-विधान से इनकी पूजा करने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है. इस दिन लोग व्रत रखते हैं और मां दुर्गा के अलावा मां जगदम्बा की पूजा भी करते हैं. भक्त हर माह में पड़ने वाले शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत भी रखते हैं. हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन मास की दुर्गा अष्टमी 5 अगस्त शुक्रवार को पड़ रही है. श्रावण मास में पड़ने के कारण यह दुर्गा अष्टमी सबसे विशेष है. सावन माह में की जाने वाली दुर्गा उपासना जल्द फलित होती है तथा माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
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इस दिन मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा और आराधना बहुत फलदायी मानी गई है. सावन के पूरे महीने में की जाने वाली भगवान शिव की भक्ति और सोमवार व्रत बहुत शुभ माने जाते हैं. वहीं सावन मास की दुर्गाष्टमी का भी अपना खास महत्व होता है. सावन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत रखा जाता है. मान्यता है कि जो भक्त दुर्गाष्टमी के दिन मां दुर्गा की सच्चे मन से और नियमपूर्वक आराधना करता है उससे मां भगवती शीघ्र प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं. तो आइए जानते हैं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किन नियमों का ध्यान रखना जरूरी माना गया है
दुर्गाष्टमी शुभ मुहूर्त समय
दुर्गा अष्टमी व्रत अगस्त 2022 तिथि: 5 अगस्त, शुक्रवार.
तिथि का समय: 05 अगस्त, 05:06 पूर्वाह्न - 06 अगस्त, 03:57 पूर्वाह्न.
मासिक दुर्गा अष्टमी पूजा अनुष्ठान
दुर्गा अष्टमी व्रत अनुष्ठान के लिए भक्त सुबह जल्दी उठते हैं, स्नान करते हैं, और देवी को फूल, चंदन और धूप के रूप में कई प्रसाद चढ़ाते हैं.
देवी को चढ़ाने के लिए नैवेद्य भी तैयार किया जाता है.
दुर्गा अष्टमी का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है. इस दिन व्रत का संकल्प भी लिया जाता है और कुछ भक्त दूध और फल खाकर भी व्रत रखते हैं.
इस दिन मांसाहारी भोजन और शराब का सेवन सख्त वर्जित है.
इस व्रत का पालन करने वाले भूमि पर सोते हैं.
भक्त इस दिन देवी और दुर्गा चालीसा के मंत्र का जाप भी करते हैं. पूजा के अंत में, दुर्गा अष्टमी व्रत कथा उनके द्वारा पढ़ी जाती है.
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती ह
मासिक दुर्गाष्टमी विशेष नियम
मासिक दुर्गाष्टमी व्रत पूजा में दिशाओं का विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि पूजा के समय इसका विशेष महत्व होता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मां दुर्गाष्टमी के दिन पूजा पाठ करते समय मां दुर्गा की ज्योत आग्नेय कोण में जलानी चाहिए और उपासक का मुख पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए. देवी दुर्गा की पूजा करते समय पूजा की वस्तुओं को दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना चाहिए. कहा जाता है कि दिशा के अनुसार मां दुर्गा की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है. घर में पैसा आता रहता है. कभी किसी चीज की कमी नहीं होती.
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