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Surya Sankranti 2022 : संक्रांति पर भगवान सूर्य की पूजा एवं मंत्र के जाप से मिलती है करियर में सफलता

Myjyotish Expert Updated 17 Oct 2022 09:36 AM IST
Surya Sankranti 2022 : संक्रांति पर भगवान सूर्य की पूजा एवं मंत्र के जाप से मिलती है करियर में सफलता
Surya Sankranti 2022 : संक्रांति पर भगवान सूर्य की पूजा एवं मंत्र के जाप से मिलती है करियर में सफलता - फोटो : google
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Surya Sankranti 2022 : संक्रांति पर भगवान सूर्य की पूजा एवं मंत्र के जाप से मिलती है करियर में सफलता 


सूर्य के तुला राशि में प्रवेश के साथ ही कार्तिक संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. इस वर्ष 17 अक्टूबर के दिन सुर्य का प्रवेश कन्या राशि से निकल कर तुला राशि में होगा. इस अवसर पर पवित्र नदियों के तट पर बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं.

नदी में पवित्र स्नान करते हैं. स्नान के बाद तिल, गुड़, मौसमी फलों और सब्जियों से बनी वस्तुओं का दान करते हैं. इस समय के दौरान धार्मिक आयोजनों को भी धूम धाम से किया जाता है. देश भर में संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है.  

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संक्रांति को लोग किसी न किसी रूप में अपनी-अपनी मान्यताओं के अनुसार मनाते हैं. वहीं इस खास दिन तिल, गुड़ के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है, साथ ही स्नान का भी विशेष महत्व है. सूर्य के तुला राशि में प्रवेश के साथ ही मोसम में होने वाले बदलाव भी दिखाई देते हैं. संक्रांति का महान पर्व न केवल उत्तर भारत में बल्कि दक्षिणी भागों के साथ-साथ विभिन्न राज्यों में कई नामों से मनाया जाता है. 

संक्रांति शुभ मुहूर्त समय 
तुला संक्रांति 17 अक्टूबर 2022 को सोमवार के दिन मनाई जाएगी. इस दिन का शुभ समय इस प्रकार रहेगा. पुण्य काल मुहूर्त समय 17 अक्टूबर, दोपहर 12:12 बजे से 17 अक्टूबर, शाम 5:56 बजे तक रहेगा. महा पुण्य काल मुहूर्त समय 17 अक्टूबर, शाम 4:02 बजे से 17 अक्टूबर, शाम 5:56 बजे तक व्याप्त रहेगा. इस संक्रांति के आरंभ होने का समय 17 अक्टूबर, शाम 7:27 बजे
होगा. 

तुला संक्रांति का आधार 
संक्रांति का संबंध धर्म के साथ साथ खगोल विज्ञान से भी रखता है. तुला संक्रांति के दिन सूर्य कन्या राशि से निकलकर तुला जो शुक्र के स्वामित्व की राशि में प्रवेश होता है. कहा जाता है कि इस विशेष दिन पर सूर्य स्वयं अपना राशि परिवर्तन होता है जो संक्रांति कहलाता है.

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इस दौरान कहा जाता है कि एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति के बीच का समय सौर मास होता है. वैसे तो सूर्य संक्रांति 12 है, लेकिन इन चार संक्रांति में से बहुत महत्वपूर्ण हैं, जो मेष, कर्क, तुला, मकर संक्रांति हैं. 

सूर्य संक्रांति पर करें भगवान सूर्य के मंत्र जाप 

संक्रांति के समय पर भगवान सूर्य का पूजन विशेष रुप से किया जाता है. इस अवसर पर भगवान के मंत्र जप करने से व्यक्ति को कार्यों में सफलता का आशीष प्राप्त होता है. जीवन की बाधाएं भी दुर होती हैं. 

ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य: 
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते अनुकंपयेमां भक्त्या गृहाणार्घय दिवाकर
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः.. 
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः 

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