Som Pradosh Vrat: कब और कैसे रखें सभी कामनाओं को पूरा करने वाला सोम प्रदोष व्रत
हिंदू धर्म में महादेव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सबसे उत्तम समय प्रदोष काल का माना गया है। जो भी व्यक्ति प्रदोष व्रत करता है तो उसके जीवन में शुभता आती है। प्रदोष काल और प्रदोष व्रत करने का महत्व और भी बढ़ जाता है , जब ये महादेव के दिन सोमवार को पड़ता है। ऐसी मान्यता है की सोम प्रदोष काल में देवों के देव महादेव के साथ माता पार्वती की भी पूजा करना बहुत शुभ होता है।
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सोम प्रदोष व्रत जो भी व्यक्ति करता है , उसे महादेव की कृपा से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती हैं। इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन में आए दुखों का महादेव की कृपा से निवारण हो जाता हैं। इस साल सोम प्रदोष व्रत 21 नवंबर 2022 को पड़ रहा है। आइए सोम प्रदोष व्रत से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बातों पर गौर करते हैं।
सोम प्रदोष की पूजा का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि 21 नवंबर 2022 को प्रात:काल 10 : 7 मिनट से प्रारंभ होकर 22 नवंबर 2022 को प्रात:काल 8 : 49 मिनट पर समाप्त होगा। इस दिन भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा के लिए पूजा का सबसे उत्तम प्रदोष काल का समय सायंकाल 5 : 25 मिनट से रात्रि 8 : 6 मिनट तक रहेगा।
दिसंबर में कब-कब पड़ेगा प्रदोष व्रत
5 दिसंबर 2022 दिन सोमवार — सोम प्रदोष व्रत है।
21 दिसंबर 2022 दिन बुधवार — बुध प्रदोष व्रत है।
सोम प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व
हिंदू पंचाग के अनुसार प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष और शुक्लपक्ष में पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि प्रदोष तिथि कहलाती है। कभी भी प्रदोष काल का समय सूर्यास्त और रात के बीच का समय होता है। पौराणिक कथाओं में प्रदोष व्रत के बारे में कहानियां मिलती है की जब समुद्र मंथन हुआ था और उसमें जो विष निकला, उसे महादेव ने जब ग्रहण किया था तो उस समय का समय प्रदोष काल था।
यही से महादेव को विष ग्रहण करने की आज से इन्हें नीलकंठ कहा जाता है। एक दूसरी कथा ये भी मिलती है की इस दिन महादेव ने चंद्र देवता को क्षय रोग से मुक्ति दिलाई थी। इसलिए जो भी भक्त इस दिन पूरी श्रद्धा भाव से महादेव और माता पार्वती की पूजा करता है तो उसकी सारी मनोकामना पूरी होती हैं।
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सोम प्रदोष व्रत पूजा विधि
हर पूजा पाठ करने का सही तरीका और कुछ नियम होते है। ठीक वैसे ही सोम प्रदोष व्रत करने के कुछ नियम और पूजा करने का तरीका होता है। महादेव का पूजा करने के लिए सबसे उत्तम दिन सोमवार होता है।
इस दिन सुबह उठकर स्नान करके सूर्य देव को अर्घ्य देकर अपने पूजा घर में नियमित पूजा करने में ही पूरे विधि विधान से महादेव और माता पार्वती की पूजा करने के बाद व्रत करने का संकल्प ले। इस दिन मन ही मन ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करते रहना चाहिए।
शाम को फिर से स्नान करके बाद प्रदोष काल में महादेव और माता पार्वती को गाय का दूध, गंगाजल, फूल, रोली-चंदन, धूप, कपूर, फल, बेलपत्र, मिष्ठान्न, शहद, श्रृंगार का सामान आदि ये सब अर्पित करने के बाद कैलाश पति महादेव के सामने दीपक जलाएं। इसके बाद प्रदोष व्रत कथा का पाठ करके 108 बार ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करके घर के हर एक सदस्य को आरती दे।
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