जाने कब रखा जाएगा स्कंद षष्ठी व्रत पूजा विधि शुभ मुहूर्त
स्कंद षष्ठी का पर्व भगवान शिव और पार्वती के पुत्र स्कंद भगवान से संबंधित है. पंचांग के अनुसार हर महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी मनाई जाती है. फाल्गुन मास में स्कंद षष्ठी का व्रत और पूजन किया जाएगा. इसे संतान षष्ठी या कंद षष्ठी भी कहते हैं. स्कंद षष्ठी की पूजा भगवान शिव और माता पार्वती के ज्येष्ठ पुत्र कार्तिकेय को समर्पित है.इस दिन को संतान सुख के लिए शुभ माना जाता है. दक्षिण भारत में इसका विशेष महत्व है.मात्र रु99/- में पाएं देश के जानें - माने ज्योतिषियों से अपनी समस्त परेशानियों
षष्ठी तिथि भगवान स्कंद को समर्पित है. मान्यता है कि इसी तिथि को भगवान स्कंद का जन्म हुआ था. भगवान स्कंद को कार्तिकेय, मुरुगन और सुब्रह्मण्यम आदि नामों से जाना जाता है. स्कंद षष्ठी का व्रत करने से संतान पीड़ा से मुक्त प्राप्त होती है और संतान सुख की प्राप्ति होती है.
स्कंद षष्ठी पूजा विधि
स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय के बाल रूप की पूजा की जाती है और साथ ही पूरे शिव परिवार की पूजा का विधान होता है. स्कंद षष्ठी के दिन प्रात: स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर कार्तिकेय की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थान पर स्थापित करनी चाहिए. साथ ही भगवान शिव, माता गौरी, भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर भी स्थापित करके पूजा करनी चाहिए. भगवान के सामने जल से भरा कलश रखना चाहिए. कलश के ऊपर एक नारियल रखें.
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भगवान कार्तिकेय को अक्षत, हल्दी, चंदन से तिलक करना चाहिए फिर भगवान को पंचामृत, फल, मेवे, फूल आदि अर्पित करें और घी का दीपक जलाएं. स्कंद षष्ठी की व्रत कथा पढ़ें और भगवान स्कंद की आरती करें. स्कंद षष्ठी पर इस तरह पूजा करने से संतान के सभी संकट दूर होते हैं और परिवार में सुख-समृद्धि आती है.
स्कंद षष्ठी महत्व
धर्मसिंधु और निर्णयसिंधु ग्रंथों के अनुसार, पंचमी तिथि समाप्त होने पर सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच स्कंद षष्ठी का व्रत और पूजा की जाती है. इसके अलावा यदि षष्ठी तिथि लग रही हो तो भी यह व्रत किया जाता है. षष्ठी तिथि का पंचमी तिथि से मिलन स्कंद षष्ठी व्रत के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है.
इस कारण कई बार स्कंद षष्ठी का व्रत पंचमी तिथि को भी रखा जाता है. स्कंद षष्ठी के दिन व्रत करने से व्यक्ति को शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है. स्कंद भगवान यौद्धा हैं अत: भक्ति इनकी भक्ति करके अपने जीवन में भी सफलताओं को एक योद्धा की भांति पाने में सफल होता है. स्कंद भगवान का पूजन हर प्रकार के कष्टों से मुक्ति प्रदान करने वाला होता है.
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