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Padma Ekadashi 2022: जाने पदमा एकादशी तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा का महत्व

MyJyotish Expert Updated 05 Sep 2022 03:47 PM IST
जाने पदमा एकादशी तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा का महत्व
जाने पदमा एकादशी तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा का महत्व - फोटो : google
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जाने पदमा एकादशी तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा का महत्व 


पदमा एकादशी भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है. ये समय उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं जो भगवान विष्णु की पूजा करना चाहते हैं. हिंदू पंचांग अनुसार, एकादशी दो चंद्र चरणों में मनाई जाती है इनमें से शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के समय पर यह पर्व मनाया जाता है.वैष्णव संप्रदाय में इस दिन को मोक्षदायक माना जाता है. चातुर्मास में आने वाली ये एकादशी अत्यंत ही विशेष फलदायक होती है. एकादशी के दिन अधिकांश हिंदू भक्त भगवान विष्णु की पूजा करते हैं.

एकादशी के दिन, भक्त सख्त उपवास रखते हैं और अगले दिन सूर्योदय के बाद ही अपना उपवास तोड़ते हैं. भक्त बिना पानी के या केवल पानी के साथ या केवल फलों के साथ उपवास करना चुन सकते हैं. हिंदू धर्म के अनुसार, जो लोग एकादशी का व्रत करते हैं, उन्हें अशुभ ग्रहों के प्रभाव से छुटकारा, सुख का आशीर्वाद और भगवान के बारे में सोचने और मोक्ष प्राप्त करने के लिए मन की सही शांति प्राप्त करने वाला माना जाता है.

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कई बार एकादशी का व्रत लगातार दो दिन करने की सलाह दी जाती है. यह स्मार्त एवं वैष्णव के मत विचारों के कारण होता है. एकादशी को मोक्ष दायक माना जाता है. हिंदू शास्त्रों के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति एकादशी व्रत को पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ करता है, तो भगवान विष्णु अपने पिछले जीवन के साथ-साथ वर्तमान जीवन में किए गए सभी पापों को क्षमा कर देते हैं.

कब होगी पदमा एकादशी विधि 
भादो माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पदमा एकादशी व्रत रखने का विधान है. इस साल योगिनी एकादशी व्रत 6 और 7 सितंबर को मनाई जाएगी. एकादशी व्रत के दिन सिद्धि योग बन रहा है. जो लोग व्रत उनके लिए जानते हैं एकादशी व्रत और पूजा विधि के बारे में विस्तार पूर्वक. 

पदमा एकादशी पूजा विधि 

पदमा एकादशी व्रत से एक दिन पूर्व मांस, मदिरा, धूम्रपान आदि का त्याग करना अनुकूल होता है सात्विक आहार को शामिल करना चाहिए. एकादशी के दिन प्रात: स्नान के बाद पीले वस्त्र धारण करने चाहिए. मंदिर के स्थान की साफ सफाई करके वहां भगवान की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए. अक्षत्, जल और फूल लेकर एकादशी व्रत और पूजा का संकल्प लेना चाहिए. भगवान श्री विष्णु की मूर्ति को पंचामृत स्नान कराना चाहिए. भगवान का श्रृंगार करना चाहिए. श्री विष्णु जी को वस्त्र, पीले फूल, फल, माला, चंदन, धूप, दीप, अक्षत्, शक्कर, तुलसी के पत्ते इत्यादि अर्पित करने चाहिए. भगवान की पूजा अर्चना के बाद भोग अर्पित करना चाहिए तथा दान इत्यादि कार्यों को करके एकादशी के शुभ फलों का भागी बनना चाहिए. 

जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है

एकादशी व्रत मंत्र
विष्णु मंत्र: ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय:
कृष्ण महा-मंत्र: हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम, हरे राम, राम राम हरे हरे

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