भारतीय शादियों में बहुत सी रस्में निभाई जाती है उनमें से कुंडली मिलान भी एक है जो सदियों से चली आ रही है। अरेंज मैंरिज हो या लव मैंरिज कुंडली मिलान शादियों का बड़ा हिस्सा मानते हैं। जब कुंडली मिलान हो जाता है तो शादी की बाकी रस्मों को आगे बढ़ाया जाता है।
विवाह से पहले कुंडली मिलान करते समय आपने लोगों को यह कहते हुए सुना होगा कि “शादी-विवाह दो गुड्डे-गुड़ियों का खेल नहीं है”। मनुष्य के जीवन में शादी एक बार ही होती है, इसीलिए लोग चाहते हैं उनकी ज़िन्दगी में जो जीवनसाथी आए वह सर्वगुण संपन्न हो। विवाह दो लोगों के बीच का एक संबंध है जो आने वाले 7 जन्मों तक उन्हें एक दूसरे के साथ जोड़ देता है। शादी चाहे लव हो या अरेंज, हमेशा कुछ चीज़ें ऐसी होती हैं जिनके पूरा होने के बाद ही शादी कराई जाती है। इनमें सबसे महत्वपूर्ण होता है कुंडली मिलान। हमारे बड़े-बुज़ुर्गों और कुछ अनुभवी लोगों के अनुसार शादीशुदा ज़िन्दगी खुशहाल रहे इसके लिए विवाह से पूर्व कुंडली मिलान बेहद जरुरी है।
लेकिन, अगर दो लोगों की कुंडली मेल नही खाती है तो क्या होगा? क्या उन्हें शादी करनी चाहिए? आईए जानते है:
क्या है कुंडली मिलान:
पुराने समय में ऋषि-मुनियों ने अपने ज्ञान को उपयोग करके समाज के लिए कई सारे नियम बनाएं। इनमें से एक नियम कुंडली मिलान का भी बनाया गया जो शादी में बहुत महत्तव रखता है। ग्रंथों के अनुसार कुंडली मिलान सुखद शादीशुदा जीवन का एक रास्ता बताया गया है। यह दूल्हा-दुल्हन की अनुकूलता और उनके सुखी व समृद्ध भविष्य को जानने का एक तरीका है। कुछ लोगों का यह मानना है कि कुंडली मिलान के बिना एक अच्छे जीवन साथी की तलाश पूरी नहीं होती। कुंडली मिलान से आप रिश्ते की स्थिरता और लम्बे उम्र की जानकारी प्राप्त कर पाते हैं। इसी तरह, कुंडली मिलान प्रक्रिया यह पता लगाने में मदद कर सकती है कि लड़की या लड़का मांगलिक है या नहीं और यदि उनमें से एक है, तो यह बताने में मदद करता है कि एक व्यक्ति का मांगलिक होना दूसरे को कैसे प्रभावित करेगा।
गुण मिलान का अर्थ:
कुंडली मिलान में सबसे पहला काम गुण मिलान का होता है। किसी भी व्यक्ति की कुंडली में आठ तरह के गुणों और अष्टकूट का मिलान किया जाता है। शादी में गुण मिलान बेहद आवश्यक होता है। ये गुण है – वर्ण, वश्य, तारा, योनि, गृह मैत्री, गण, भकूट और नाड़ी । इन सब के मिलान के बाद कुल 36 अंक होते है। विवाह के समय यदि वर-वधु दोनों की कुंडली में 36 में से 18 गुण मिलते हैं तो यह माना जाता है कि शादी सफल रहेगी। ये 18 गुण स्वास्थ, दोष, प्रवृति, मानसिक स्थिति, संतान आदि से सम्बंधित होते हैं।
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कुंडली मिलान कैसे करें ?
आप शादी से पहले किसी ज्योतिष की मदद से कुंडली मिलान करवा सकते हैं। इसके लिए आपको दूल्हा-दूल्हन का नाम, उनकी जन्मतिथि, जन्मस्थान और जन्म का समय पता होना चाहिए। विवाह के समय दोनों की कुंडलियों का ज्योतिष द्वारा पढ़ने के बाद यह पता लगाया जाता है कि उनका आने वाला जीवन कैसा रहेगा।
क्या हो अगर कुंडली मेल न खाएं?
शादी के समय कभी-कभी ऐसा होता है कि कुंडली मेल नहीं खाती और ज्यादातर लोग कुंडली को नहीं मानते। कई लोग यह मानते हैं कि अगर किसी भी तरह कि अनबन होती है तो वह खुद उसे सुलझाने में सझम है। फिर भी हम भारत में तालाक के मामलों की बढ़ती संख्या को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। लेकिन अगर दोनों में से किसी एक की भी कुंडली में कोई दोष हो या गुण न मिल पा रहें हो तो आपको किन दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है यह जानना बेहद जरुरी है।
• व्यापार और धन में नुकसान।
• शारीरिक संबंध में समस्या हो सकती हैं।
• वैवाहिक जीवन में लगातार लड़ाई और बहस।
• संतान सुःख नहीं मिलता है, भले ही दोनों स्वस्थ हों।
• दोनों के करियर की प्रगति में समस्याएं आ सकती हैं।
कुंडली मेल नहीं खाने के बाद भी शादी करनी चाहिए?
जैसे हर बीमारी का इलाज संभव है ठीक उसी तरह ज्योतिष शास्त्र में हर परेशानी का उपाय संभव है। हालांकि, ऐसे मामलों जहां गुण मेल नहीं खाते, किसी अच्छे ज्योतिषी की मदद से दोनों लोगों की कुंडली का सही तरीके से दिखाएं। यदि कुंडली में कोई दोष दिखाई देते हैं, तो संबंधित व्यक्ति को शादी से पहले इन दोषों के लिए पूजा करनी चाहिए। जिससे इन दोषों के कारण ग्रहों के हानिकारक प्रभाव को बेअसर किया जा सकता है। जो बदले में अच्छा वैवाहिक जीवन जीने में मदद करें। इस तरह की पूजा एक विशेषज्ञ और कुशल ज्योतिषी द्वारा ही की जानी चाहिए।
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