शीतला सप्तमी, इस विधि से करें शीतला माता की पूजा व नोट कर लें व्रत नियम
हिंदू धर्म में शीतला सप्तमी या शीतला अष्टमी के दिन ही बासी भोजन किया जाता है. इस दिन महिलाएं विधि विधान से शीतला माता की पूजा करती हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शीतला माता की कृपा से संतान सुख की प्राप्ति होती है. शीतला माता का पूजन करने से सुख समृद्धि का आगमन होता है.
हिंदू धर्म में शीतला सप्तमी या शीतला अष्टमी के दिन ही बासी भोजन किया जाता है. इस दिन महिलाएं विधि विधान से शीतला माता की पूजा करती हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता शीतला की कृपा से धन-धान्य में वृद्धि होती है और व्यक्ति को रोगों से मुक्ति मिलती है. इस दिन घर में ताजा खाना नहीं बनाया जाता है.
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शीतला सप्तमी 2022 शुभ मुहूर्त
शीतला सातम बृहस्पतिवार, अगस्त 18, 2022 को शीतला सातम पूजा मुहूर्त - 05:52 से 18:58 तक रहेगा. सप्तमी तिथि प्रारम्भ 17 अगस्त, 2022 को 20:24 होगी. सप्तमी तिथि समाप्त होगी 18 अगस्त, 2022 को 21:20 तक रहेगा.
शीतला सप्तमी पर्व की प्रासंगिकता स्कंद पुराण में स्पष्ट रूप से वर्णित है. शास्त्रों और हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी शीतला देवी दुर्गा और मां पार्वती का अवतार होती हैं.
शीतला सप्तमी पूजा नियम
इस विशेष दिन पर श्रद्धालु शीतला माता की पूजा और अनुष्ठान करते हैं. लोग सूर्योदय से पहले उठ जाते हैं और ठंडे पानी से स्नान करते हैं. इसके बाद, वे देवी शीतला के मंदिर में जाते हैं और विभिन्न अनुष्ठान और पूजा करते हैं और सुखी, स्वस्थ और शांतिपूर्ण जीवन प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करते हैं. पूजा को पूरा करने के लिए, भक्त शीतला माता व्रत कथा को पढ़ते और सुनते हैं.
देश के कुछ हिस्सों में, लोग देवी को प्रसन्न करने के लिए कठोर व्रत एवं नियमों का पालन किया जाता है.
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शीतला सप्तमी के दिन क्या करना चाहिए
शीतला सप्तमी के दिन घरों में कई तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं. इनमें हलवा, पुरी, दही बड़ा, पकौड़ी, पुए रबड़ी आदि बनाए जाते हैं. अगली सुबह महिलाएं इन चीजों को शीतला माता को अर्पित करती हैं और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं. इस दिन शीतला माता सहित घर के सदस्य भी बासी भोजन करते हैं. इस कारण इसे बासौदा पर्व भी कहते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस दिन के बाद बासी खाना खाना उचित नहीं है.
यह सर्दियों के मौसम के अंत का प्रतीक है और इसे इस मौसम का आखिरी दिन माना जाता है. इस पूजा को करने से शीतला माता प्रसन्न होती हैं और उनकी कृपा से ज्वर, पीत ज्वर, दुर्गंधयुक्त फोड़े - फुंसी, शीतला के दोष और आंखों के सभी रोग दूर हो जाते हैं.
इन बातों का रखें ध्यान
शीतला सप्तमी के दिन गर्म चीजें नहीं खाई जाती हैं. इसके साथ ही घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता है. एक दिन पहले सभी भोजन का हलवा, पकौड़ी, रेवड़ी आदि बनाकर रात में ही रख लेना चाहिए. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन गर्म पानी से स्नान करना भी वर्जित है. शीतला अष्टमी के दिन ठंडे पानी से स्नान करने की परंपरा भी होती है.
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