Shardiya Navratri : मां दुर्गा के इन मंदिरों में पूजा करने से हर मनोकामना होती है पूरी
नवरात्री 26 सितंबर दिन सोमवार से शुरू हो चुका है। नवरात्री दौरान लोग मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा करते हैं। नवरात्र में मां दुर्गा के अलग–अलग स्वरूपों की पूजा होती है। नवरात्रि के समय लोगों के अंदर एक अलग ही तरह का उत्साह और जोश देखा जाता है। मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्त नवरात्री के व्रत रखते हैं।
देवी भागवत पुराण में बताया गया है कि जो भक्त नवरात्र के दिनों में व्रत रख मां के नौ रूपों की उपासना करता है। उसको धरती के समस्त सुख व वैभव के साथ-साथ मृत्यु के बाद उसको उत्तम लोक की प्राप्ति होती है। वैसे तो देशभर में देवी मां के कई पावन स्थल है। जिसके दर्शन करने श्रद्धालु दूर–दूर से आते है। लेकिन आइए आज हम आपको मां दुर्गा के 5 मशहूर मंदिरों के बारे में जानते हैं। मान्यता है कि इन मंदिरों में माता के दर्शन मात्र से ही मनचाहा फल मिलता है।
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नैना देवी मंदिर
नैना देवी मंदिर नैनीताल में है। ये मंदिर मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठों में से एक है।कुशन काल में नैना देवी मंदिर का उल्लेख मिलता है। यहां पर सती के नयन गिरे थे। बताया जाता है कि माता सती के अग्नि में जलने के बाद भगवान विष्णु ने माता के शरीर के 51 टुकड़े किए थे। तभी से माता के स्वरूप को मानक यहां पर मंदिर स्थापित किया गया।
कामाख्या देवी मंदिर
कामाख्या का सिद्ध शक्तिपीठ सती के 51 शक्तिपीठों में सर्वोच्च स्थान रखता है। इस स्थान पर मां की योनि गिरी थी। कामाख्या मंदिर असम की राजधानी दिसपुर के पास गुवाहाटी से 8 किलोमीटर दूर कामाख्या में है। इस मंदिर से भक्त कभी खाली नहीं लौटते है। उनकी मांगी मन्नत जल्द ही पूरी हो जाती है।
दक्षिणेश्वर काली मंदिर
इस मंदिर की मुख्य देवी भवतारिणी है, जो हिन्दू देवी काली माता ही है। दक्षिणेश्वर काली मंदिर, पश्चिम बंगाल के कोलकाता में स्थित है। दक्षिणेश्वर काली मंदिर के दर्शन के लिए दूर–दूर भक्त आते है। भक्त जनों के सारे मुरादे पूरी हो जाती है।
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करणी माता मंदिर
करणी माता का मंदिर राजस्थान के बीकानेर से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ऐसी मान्यता है की यहां एक गुफा में रहकर मां अपने इष्ट देव की पूजा अर्चना किया करती थीं। जो आज के समय में गुफा मंदिर परिसर में स्थित है। इस मंदिर के मशहूर होने की एक वजह यह भी है कि इस पावन स्थल पर ढेर सारे चूहे भी हैं। यहां पर लोग देवी मां के दर्शन करने के बाद चूहों पर भोजन भी खिलाते हैं।
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