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Sawan2022: शिव पूजा में क्यों खास है तीन पत्तों वाला बेलपत्र, इन दिनों में भूलकर भी न तोड़े बेल पत्र

MyJyotish Expert Updated 23 Jul 2022 11:32 AM IST
शिव पूजा में क्यों खास है तीन पत्तों वाला बेलपत्र, इन दिनों में भूलकर भी न तोड़े बेल पत्र
शिव पूजा में क्यों खास है तीन पत्तों वाला बेलपत्र, इन दिनों में भूलकर भी न तोड़े बेल पत्र - फोटो : google
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शिव पूजा में क्यों खास है तीन पत्तों वाला बेलपत्र, इन दिनों में भूलकर भी न तोड़े बेल पत्र 


सावन माह में बेल पत्र से शिव पूजा को विशेष माना जाता है. यह एक बहुत शक्तिशाली समय होता है जो भगवान शिव को समर्पित है. इस समय की श्रेष्ठता का उल्लेख सभी प्रमुख हिंदू ग्रंथों में मिलता है. इसके साथ ही शिव के प्रिय बेल पत्र का भी उल्लेख यहां प्राप्त होता है. स्कंध पुराण विशेष रूप से शिव पूजन में बेल पत्र का उपयोग करने से सभी दुख दूर हो जाते हैं रोग शांत होते हैं. 

मान्यता है कि सावन में अगर कोई प्रतिदिन शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाता है तो शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं. कहते हैं की एक शिकारी ने भी जब अनजाने में ही शिव पर बेल पत्र चढ़ाए तो उसे मोक्ष प्राप्त हुआ था ऎसे में यदि हम अपनी जानकारी के साथ ऎसा कार्य करते हैं तो इसका फल कई गुना हमें प्राप्त होता है. बेल पत्र की महिमा अत्यंत ही व्यापक रुप से हमें प्राप्त होती है. 

कहा जाता है कि इसके बिना शिव की पूजा अधूरी मानी जाती है. इन सभी चीजों को साथ बेलपत्र चढ़ाते समय कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए, अन्यथा प्रसन्न होने के बजाय शिव क्रोधित भी हो सकते हैं. 

आइए जानते हैं शिव पूजा में क्यों है बेलपत्र का विशेष महत्व, शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने की सही विधि और किस दिन इसे नहीं तोड़ना चाहिए.

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भगवान शिव को क्यों चढ़ाया जाता है बेलपत्र?
 बेलपत्र को भगवान शिव के तीन नेत्र का प्रतीक माना जाता है. कुछ मान्यता है कि यह भोलेनाथ के त्रिशूल का प्रतिनिधित्व करता है. इसी के साथ  बेलपत्र के तीन पत्तों को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का भी प्रतीक माना जाता है. बेल का फल और बेलपत्र शीतलता प्रदान करते हैं इसलिए भगवान शिव के कंठ में व्याप्त विष की अग्नि को भी ये शांति देते हैं जिसके कारण इस फल और पत्ते का विशेष स्थान रहा है. 

सावन में शिव पूजा के दौरान शिवलिंग पर टूटा हुआ बेलपत्र नही चढ़ाना चाहिए. यह पूजा के नियम होते हैं की कोई भी खंडित वस्तु को पूजा में शामिल न किया जाए. एक ही बेलपत्र से शिव जी प्रसन्न हो जाते हैं, इसलिए बेल पत्र कितने हों यह अच्छी बात है लेकिन जो भी हों साफ स्वच्छ एवं कहीं से भी काट या फटा न हो.  बेलपत्र आमतौर पर 3 पत्तों का होता है लेकिन 5 पत्तों वाला बेलपत्र शिव पूजा के लिए बहुत शुभ माना जाता है. बेल के पत्ते हमेशा इस तरह चढ़ाएं कि चिकने सतह वाला हिस्सा शिवलिंग को छू रहा हो. बीच का पत्ता पकड़कर शिव को अर्पित करें. जलाभिषेक के साथ बेलपत्र चढ़ाने से महादेव बहुत प्रसन्न होते हैं. बेलपत्र चढ़ाते समय रुद्राष्टाध्यायी मंत्र का जाप करने से मनोवांछित फल मिलता है. शास्त्रों के अनुसार, बेलपत्र अशुद्ध नहीं होता है और पहले से चढ़ाए गए बेलपत्र को फिर से साफ पानी से धोकर भगवान शिव को अर्पित किया जा सकता है.

बेल पत्र अर्पित करने का मंत्र 
"त्रिदलं त्रिगुणाकरम त्रिनेत्रम् च त्रिधायुतम. त्रिजनपसम्हाराम बिल्वपत्रम शिवर्पनम"

बेलपत्र को तोड़ने का भी नियम विशेष होता  है इसे अनुसर माना जाता है कि चतुर्थी तिथि, अष्टमी तिथि, नवमी तिथि, चतुर्दशी तिथि, अमावस्या तिथि, पूर्णिमा तिथि, संक्रांति तिथि और सोमवार को बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए. 

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