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Home ›   Blogs Hindi ›   Sawan Shivratri: Learn how to worship four prahars this Shivratri, and four prahar muhurat puja times

Sawan Shivratri: जानें इस शिवरात्रि कैसे करें चार प्रहर की पूजा, और चार प्रहर मुहूर्त पूजा समय

MyJyotish Expert Updated 23 Jul 2022 03:54 PM IST
shiv parvati
shiv parvati - फोटो : Google
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 जानें इस शिवरात्रि कैसे करें चार प्रहर की पूजा, और चार प्रहर मुहूर्त पूजा समय 


सावन माह में आने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्व है. महादेव की पूजा के लिए शिवरात्रि में चार प्रहरों की पूजा करना शुभ माना जाता है. शिव पुराण, लिंग पुराण एवं अन्य ग्रंथों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि जो भी श्रद्धा भक्ति के साथ सावन शिवरात्रि का व्रत रखता है और इस दिन चारों प्रहरों की पूजा करता है उसके जीवन से सभी दुख दूर हो जाते हैं. यह सिद्धि प्राप्ति का अत्यंत ही शुभ समय होता है. आइये जानते हैं चार प्रहरों की पूजा कैसे करें. 

सावन शिवरात्रि 4 प्रहर पूजा मुहूर्त
सावन शिवरात्रि मंगलवार, 26 जुलाई, 2022 को

निशिता काल पूजा समय - 00:07 से 00:49, जुलाई 27
अवधि - 00 घण्टे 42 मिनट
शिवरात्रि पारण समय - 05:39 से 03:51 

रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - 19:16 से 21:52 
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - 21:52 से 00:28 , जुलाई 27
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - 00:28 से 03:04 , जुलाई 27
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय - 03:04 से 05:39,  जुलाई 27

चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ - 26 जुलाई , 2022 को 18:46 बजे
चतुर्दशी तिथि समाप्त - 27 जुलाई , 2022 को 21:11 बजे

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शिवरात्रि चार प्रहर की पूजा करने के लाभ
शिवरात्रि की चार प्रहर पूजा शाम से आरंभ होती है और ब्रह्ममुहूर्त तक की जाती है. इस दिन रात्रि जागरण कर पूजा करने की परंपरा है. भगवान शिव की ये रात्रि भक्तों के लिए अमृत समान होती है. इस पूजा से मुख्य रूप से जीवन के चारों अंगों अर्थात धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है तथा जीवन में इन सभी पर नियंत्रण प्राप्त करने की शक्ति भी प्राप्त होती है है.

पहला प्रहर
प्रदोष काल में सूर्यास्त के बाद शाम को पहले पहाड़ की पूजा की जाती है. इसका समय शाम 06.00 बजे से रात्रि 9.00 बजे तक है. प्रथम प्रहर की पूजा में घर में या शिवालय में विधि विधान से शिवलिंग का दूध से अभिषेक करें. दूध चढ़ाते समय ॐ ईशानाय नमः  मंत्र का जाप करते रहें. प्रथम प्रहर की पूजा करने से सभी दोषों से मुक्ति मिलती है.

दूसरा प्रहर 
दूसरे पहाड़ की पूजा रात्रि 9 बजे से 12.00 बजे के बीच होती है. इस पूजा में ऊँ ही महामंत्र होता है ऊं नमः मंत्र का जाप करते हुए भोलेनाथ को दही अर्पित करना चाहिए. महादेव का ध्यान करके शिव की स्तुति का पाठ करें. इससे धन संबंधी समस्या दूर होती है अचानक से बाधाओं की समाप्ति के समाधान प्राप्त होते हैं. 

तीसरा प्रहर 
तीसरे पहर की पूजा आधी रात को की जाती है. दोपहर 12.00 से 3.00 बजे के बीच गाय के घी से भोलेनाथ का अभिषेक. इस काल का मंत्र है ऊँ वामदेवाय नमः: किसी विशेष कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए तीसरी घड़ी की पूजा करना शुभ माना जाता है.

चौथा प्रहर 
चतुर्थ प्रहर की पूजा का समय रात्रि 03.00 बजे से प्रातः 06.00 बजे तक है. चौथे प्रहर में शिव को शहद चढ़ाएं. साथ ही ॐ सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नम: मंत्र का जाप करें. इस पूजा से मोक्ष की प्राप्ति होती है.

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