Saubhagya Sundari Vrat : आज रखा जाएगा सौभाग्य सुंदरी व्रत, जानें शिव-पार्वती की पूजा विधि और धार्मिक महत्व l
अगहन मास के कृष्णपक्ष की तृतीया को रखे जाने वाले सौभाग्य सुंदरी व्रत की पूजा विधि एवं धार्मिक महत्व को जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख. आज रखा जाएगा सौभाग्य सुंदरी व्रत, जानें शिव-पार्वती की पूजा विधि और धार्मिक महत्वसौभाग्य सुंदरी व्रत की पूजा विधि एवं धार्मिक महत्व
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सनातन पंरपरा में देवों के देव महादेव को कल्याण का देवता माना गया है तो वहीं माता पार्वती की पूजा से अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मिलता है. मार्गशीर्ष या फिर कहें अगहन मास के कृष्णपक्ष की तृतीया तिथि पर भगवान शिव और पार्वती की कृपा बरसाने वाला व्रत सौभाग्य सुंंदरी व्रत रखा जाता है, जो कि इस साल 11 नवंबर 2022 को पड़ेगा.
सनातन परंपरा में इस व्रत को विधि-विधान से रखने पर सुहागिन महिलाओं को अखंड साैभाग्य का वरदान मिलता है. मान्यता ये भी है कि इस व्रत को रखने पर स्वस्थ, सुंदर शरीर का आशीर्वाद मिलता है. आइए शिव संग माता पार्वती की कृपा बरसाने वाले सौभाग्य सुंदरी व्रत की पूजा विधि और इसके धार्मिक महत्व के बारे में जानते हैं.
सौभाग्य सुंदरी व्रत का शुभ मुहूर्त:
पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के कृष्णपक्ष की तृतीया 10 नवंबर 2022 को सायंकाल 06:33 बजे से प्रारंभ होकर 11 नवंबर 2022 को रात्रि 08:17 बजे तक रहेगी. चूंकि सनातन परंपरा में किसी भी पर्व को उदया तिथि के आधार पर मनाया जाता है, ऐसे में सौभाग्य सुंदरी व्रत 11 नवंबर 2022 को ही रखा जाएगा.
सौभाग्य सुंदरी व्रत की पूजा विधि:
सौभाग्य सुंदरी व्रत को रखने के लिए प्रात:काल स्नान-ध्यान करने के बाद सबसे पहले भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करते हुए इस व्रत को विधि-विधान से करने का संकल्प लें. इसके पश्चात् भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या चित्र को पवित्र जल से स्नान कराएं और उनका पुष्प, रोली, अक्षत, सिंदूर आदि से पूजा करें.
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इसके बाद उन्हें भोग लगाएं और सौभाग्य सुंदरी व्रत की कथा कहें तथा महादेव एवं माता पार्वती के मंत्र ‘ॐ उमामहेश्वराभ्यां नमः’ का रुद्राक्ष की माला से जप करें. मंत्र जप को मन ही मन में करें और उसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की शुद्ध घी का दीपक जलाकर आरती करें.
सौभाग्य सुंदरी व्रत के लाभ:
सनातन परंपरा में महिलाओं के द्वारा रखे जाने वाले सौभाग्य सुंदरी व्रत के बारे में मान्यता है कि जो कोई महिला इस व्रत को विधि-विधान से रखती है, उसके सुखी वैैवाहिक जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उसका पति दीर्घायु होता है. मान्यता यह भी है कि इस व्रत को रखने से विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और मनचाहा वर प्राप्त होता है.
सौभाग्य सुंदरी व्रत कथा
पार्वती माता की दो जया-विजया नाम की सखियां थी। एक दिन मुनि कन्याओं ने उनसे पूछा कि आप दोनों तो सदा देवी पार्वती के साथ रहती हैं। आपको तो सब पता होगा कि उनको क्या प्रिय है और किस मंत्र, कथा और उपाय से वो प्रसन्न होती हैं।
इसका जवाब देते हुए जया बोली कि मैं तुम दोनों को इस विषय में सब बताती हूं। सौभाग्य सुंदरी व्रत के दिन प्रातः काल सभी कार्यों से निवृत होकर स्वच्छ, वस्त्र आभूषणों को धारण करें। मंदिर में देवी पार्वती के लिए एक वेदी बनाएं फिर उसे सुन्दर और सुगंधित पुष्पों से सजाएं।
सर्वप्रथम वहां अपने पित्रों को नमन करें। फिर गणेश व नवग्रह आदि के पूजन से पूजा का आरम्भ करें। फिर देवी के आठ नामों से उनका पूजन करें। हल्दी-कुमकुम, कपूर और चन्दन का लेप लगाएं। इसके बाद देवी का रात्रि जागरण करें।
अगले दिन सुबह उठकर स्नानादि कर पवित्र हो देवी को अर्पित की हुई सारी सामग्री सुहागिन स्त्रियों में बांट दें। इस प्रकार सौभाग्य सुंदरी व्रत को करने वाली स्त्रियां अखण्ड सौभाग्यवती होने का वरदान देवी से प्राप्त करती है।
मान्यता है कि जो भी स्त्री इस प्रकार व्रत करती हैं, उसके सुहाग की रक्षा स्वयं माता पार्वती करती हैं। इस व्रत का प्रभाव इतना अधिक है कि इस व्रत को करने से दांपत्य दोष के साथ ही मांगलिक दोष भी दूर होता हैं।
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