देवी सरस्वती के इन मंत्रों एवं आरती से हर परीक्षा में सफलता का पूरा होगा सपना
हिंदू धर्म में छात्र के लिए देवी सरस्वती का पूजन करना एक अत्यंत ही शुभ कार्य रहा है. देवी का पूजन छात्र शिक्षार्थी को हर काम में सफलता दिलाने वाला होता है. अपनी पढ़ाई में अगर किसी भी प्रकार की दिक्कत आपको आ रही है तो देवी सरस्वती का पूजन करने में इन मंत्र जाप का उपयोग अवश्य करें तथा देवी की आरती को करें ऎसा करने से माता का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होता है.
सरस्वती पूजा का पर्व भारत वर्ष में उत्साह शृद्धा के साथ मनाया जाएगा. आइए जानते हैं कैसे करें सरस्वती पूजा पर मां सरस्वती की पूजा, जानें सरस्वती वंदना से लेकर आरती तक की पूरी जानकारी.
मां सरस्वती की पूजा करने मात्र से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं.
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
ऐसी मान्यता है कि मां का भक्त बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करता है. उस पर मां सरस्वती की कृपा होती है और उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन कुछ सरस्वती मंत्र और सरस्वती माता की आरती भी होती है, जिसके बिना मां सरस्वती की पूजा अधूरी रहेगी और उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. ऐसे में आइए जानते हैं मां सरस्वती की पूजा विधि, मंत्र, आरती, पूजा और शुभ मुहूर्त.
बसंत पंचमी शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का प्रारंभ 25 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से हो गया है. जो 26 जनवरी को सुबह 10 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि को हिंदू धर्म में सर्वत्र स्वीकार किया जाता है. इसलिए बसंत पंचमी का पर्व 26 जनवरी को मनाया जाएगा. इस मां सरस्वती की पूजा का शुभ मुहूर्त 26 जनवरी की सुबह 07 बजकर 12 मिनट से 12 बजकर 34 मिनट तक है.
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इस विधि से करें मां सरस्वती की पूजा
इस दिन प्रात: स्नानादि से निवृत्त होकर पीताम्बरी धारण करें. इसके बाद मां सरस्वती की प्रतिमा पर पीले वस्त्र अर्पित करें. अब फूल, मिठाई, फल, रोड़ी, चंदन, अक्षत आदि पूजन सामग्री अर्पित करें. मां सरस्वती को वाद्य यंत्र और किताबें भी चढ़ाएं. अब आप एक माला 'ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः' मंत्र का जाप करें. इसके साथ ही निम्न पूजा से मां सरस्वती की पूजा करें-
या कुंदेंदुतुषारहारधवला, या शुभ्रवस्त्रावृता.
या वीणा वर दण्डमण्डित करा, या श्वेत पद्मासना.
या ब्रहमाऽच्युत शंकर: प्रभृतिर्भि: देवै: सदा वन्दिता.
सा मां पातु सरस्वती भगवती, नि:शेषजाड्यापहा..
मां सरस्वती की आरती
आरती कीजै सरस्वती की, जननि विद्या बुद्धि भक्ति की.
आरती कीजै सरस्वती की, जननि विद्या बुद्धि भक्ति की.
जाकी कृपा कुमति मिट जाए, सुमिरन करत सुमति गति आये.
शुक सनकादिक जासु गुण गाये, वाणि रूप अनादि शक्ति की.
आरती कीजै सरस्वती की, जननि विद्या बुद्धि भक्ति की.
नाम जपत भ्रम छूट दिये के, दिव्य दृष्टि शिशु उधर हिय के.
मिलहिं दर्श पावन सिय पिय के, उड़ाई सुरभि युग-युग, कीर्ति की.
आरती कीजै सरस्वती की, जननि विद्या बुद्धि भक्ति की.
रचित जासु बल वेद पुराणा, जेते ग्रन्थ रचित जगनाना.
तालु छन्द स्वर मिश्रित गाना, जो आधार कवि यति सती की.
आरती कीजै सरस्वती की, जननि विद्या बुद्धि भक्ति की.
सरस्वती की वीणा-वाणी कला जननि की.
आरती कीजै सरस्वती की, जननि विद्या बुद्धि भक्ति की..
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